-पैंडोराज बॉक्स यानि मुसीबतों का पिटारा: युवा राजपूत नेतृत्व से भी और सीबीआई जांच की सहमति से भी डरे मंत्री-विधायक, राजनीतिक मायने यह है कि आनन्दपाल एनकाउंटर मामले में राजपूत समाज में नए नेतृत्व के उभरने से घबराए भाजपा के कद्दावर नेता, मंत्री और विधायक
जयपुर। आनन्दपाल एनकाउंटर मामले में सीबीआई जांच समेत अन्य मांगों की सहमति बनने के बाद राजस्थान की भाजपा सरकार के राजपूत मंत्रियों व विधायकों का एक वीडियो वायरल हुआ है। इस वीडियो में मंत्री-विधायकों की बातचीत में आनन्दपाल एनकाउंटर मामले की मांगों पर सहमति, सीबीआई जांच और नए युवा नेताओं के नेतृत्व में चले आंदोलन और नेताओं के प्रति नाखुशी भी दिखी। हर कोई इससे सहमत सा नहीं दिखाई दे रहा है। इस पूरे वीडियो में दो-तीन शब्द ऐसे हैं, जिनके अपने राजनीतिक और सामाजिक मायने हैं।

राजपूत समाज भी इसे भली-भांति समझ रहा है और अपना गुस्सा सोशल मीडिया पर जाहिर भी करने लगा है। वीडियो में राव राजेन्द्र सिंह के सीबीआई जांच से पैंडोरा बॉक्स खुलने की बड़ी चर्चा हो रही है। हर किसी के मन में सवाल उठ रहा है कि आखिर पैंडोरा बॉक्स क्या है और राव राजेन्द्र सिंह पैंडोरा बॉक्स के बहाने क्या मैसेज देना चाहते हैं। वीडियो में सामने आए पैंडोरा बॉक्स शब्द के बारे में राजनीति समझ रखने वाले प्रोफेसरों से पूछा तो उन्होंने बताया कि पैंडोरा बॉक्स एक ग्रीक शब्द है, जिसका मतलब है अच्छाई और बुराईयों से जुड़ा जार। यह जार खुलेगा तो अच्छाई के साथ बुराईयां भी सामने आएगी। प्रोफेसरों व राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पैंडोरा शब्द का प्रयोग करके यह समझाया जा रहा है कि सीबीआई जांच की सहमति देकर एक तरह से हमने आंदोलनकारी समूह को ऐसा बॉक्स दे दिया है, जो जब चाहे तब खोलता रहेगा और हमें (सरकार) को परेशान करता रहेगा। इससे कई तरह की मुसीबतों के लिए तैयार रहने की नसीहत दी गई है। इस पैंडोरा बॉक्स शब्द के बारे में एक इतिहासकार ने राजनीतिक मायने बताए कि आनन्दपाल एनकाउंटर मामले में जो आंदोलन चला और सफलता पाई, वो कुछ युवा नेताओं के दम पर हुआ। सरकार और सरकार के राजपूत मंत्रियों व विधायकों को डर है कि समाज में अब एक नया नेतृत्व उभरा है, जिन्होंने समाज के मंत्रियों, विधायकों की सहायता के बिना ना केवल आंदोलन चलाया और सरकार से मांगे मनवाकर सफल भी करवाया। राजपूत समाज में इन युवा राजपूत नेताओं (सुखदेव सिंह गोगामेडी, दुर्ग सिंह चौहान खींवसर, महावीर सिंह सरवड़ी, महावीर सिंह खांगटा, महिपाल सिंह मकराना, भंवर सिंह रेटा, पूर्व विधायक राजेन्द्र गुढ़ा, मनोज न्यांगली आदि नेता) की स्वीकार्यता बढ़ी है और समाज ने उनके नेतृत्व को एक तरह से स्वीकारा भी है।

जिस किसी राजपूत मंत्री और विधायक ने इस आंदोलन व आंदोलन नेताओं के खिलाफ बोला, राजपूत समाज ने एक तरह से बहिष्कृत कर दिया और उसके खिलाफ किसी भी हद तक जाने से गुरेज भी नहीं किया। एक तरह से सरकार के राजपूत मंत्रियों और विधायकों के हाथ से यह आंदोलन निकल गया और ना ही समाज ने उन पर विश्वास जताया। अब राजपूत समाज का नेतृत्व नए हाथों में चला गया है। एक तरह से नया मोर्चा खुल गया है समाज में, युवा नेताओं का। इसका डर कददावर नेताओं को सता रहा है। पैंडोरा शब्द इसी संदर्भ में कहा गया है।

– कहां से आया पेंडोरा बॉक्स…
पेंडोरा ग्रीक शब्द है और ग्रीक पौराणिक कथाओं में हेसियड के वक्र्स एंड डेज में पेंडोरा के निर्माण की मिथक से जुड़ा है। पेंडोरा बॉक्स को एक बड़े जार में दिखाया गया है, जिसमें दुनिया की सभी बुराईयां है। जार से बुराईयों को बाहर की प्रक्रिया को ही पैंडोरा बॉक्स का नाम दिया गया है। आनन्दपाल एनकाउंटर प्रकरण की सीबीआई जांच के संदर्भ में पैंडोरा बॉक्स शब्द का तात्पर्य यह लगाया गया है कि इस पैंडोरा रुपी जार (आनन्दपाल एनकाउंटर आंदोलन) का ढक्कन खोलकर सरकार ने आफत मोल ले ली है, जिसके दूरगामी परिणाम सामने आएंगे।

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