नई दिल्ली। अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए की ओर से जारी किए गए दस्तावेजों से नई-नई जानकारियां सामने आ रही है। हाल ही जारी किए दस्तावेजों से अब यह बात भी सामने आई है कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या को लेकर सीआईए ने पांच साल पहले ही आशंका जता दी थी। इस स्थिति में भारत अमेरिकी संबंधों पर पडऩे वाले असर सहित अन्य बिंदूओं को लेकर एजेंसी ने बकायदा पूरा प्लान तैयार कर लिया था। 1986 की इस रिपोर्ट में सीआईए अधिकारी के बयान दर्ज हैं। 23 पृष्ठों की इस रिपोर्ट का शीर्षक भी इंडिया आफ्टर राजीव दिया गया। इस रिपोर्ट को फ्रीडम ऑफ इंर्फोमेशन एक्ट के तहत विश्व जगत के सामने लाया गया है। रिपोर्ट की शुरुआती लाइनों में यह स्पष्ट संकेत दिए गए कि राजीव गांधी का सामना अपने पद पर रहते हुए अपनी हत्या को अंजाम देने वाले षडयंत्र से जरुर होगा। आशंका जताई गई थी कि 1989 तक उन पर घातक जानलेवा हमला जरुर होगा। इस रिपोर्ट के पांच साल बाद 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक चुनावी रैली के दौरान राजीव गांधी पर आत्मघाती हमलावरों ने हमला कर हत्या कर दी।
सीआईए की रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि राजीव गांधी की हत्या किसी सिख या कश्मीरी मुस्लिम के हाथों होती है तो भारत दंगों की चपेट में आ सकता है। रिपोर्ट के अनुसार पीवी नरसिम्हा राव और वीपी सिंह को राजीव गांधी की जगह अंतरिम पीएम बनना तय बताया गया। राजीव की हत्या के बाद सत्ता पीवी नरसिम्हा राव के हाथों में आ गई थी। यद्दपि रिपोर्ट में एलटीटीई की भूमिका को लेकर स्पष्ट रुप से कुछ नहीं कहा गया। सीआईए दस्तावेजों में राजीव की मौत प्राकृतिक या हादसे से होने, राजीव द्वारा त्यागपत्र दिए जाने और उससे होने वाले बदलावों की बात कही गई। खुफिया रिपोर्ट में कहा गया कि यदि राजीव की अकाल मृत्यु होती है तो इसका असर दोनों देशों के संबंधों पर भी पड़ेगा।

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