Accident Claim

जयपुर। पहली पत्नी को 26 साल पहले घर से निकालने और बिना तलाक दिए ही दूसरी शादी करने के मामले में महिला उत्पीड़न मामलों की अदालत जज रेखा राठौड़ ने निचली अदालत का आदेश रद्द कर पीड़िता को प्रतिमाह 5 हजार रुपए गुजारा भत्ता अदा करने के आदेश दिए हैं। अदालत ने प्रत्यर्थी पति रामू उर्फ रामलाल टोंक निवासी नया ख्ोड़ा कच्ची बस्ती को आदेश दिया है कि वह प्रार्थियां धर्मपत्नी निर्मला देवी निवासी पुरानी बस्ती जयपुर को कोर्ट में मुकदमा दायर करने की दिनांक 1० सितम्बर 2०12 से प्रत्येक माह की 1० तारीख तक प्रार्थियां के बैंक खाते में जमा कराएगा। साथ ही अब तक बकाया राशि 6 माह में 3 किश्तों में पत्नी को नकद या उसके बैंक खाते में जमा कराएगा। पत्नी निर्मला ने एमएम.16 कोर्ट में पति के खिलाफ 2०12 में घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण एक्ट के तहत परिवाद दायर किया था। जिसे कोर्ट ने 12 अगस्त 2०16 को खारिज कर दिया। आदेश को पीड़िता महिला ने डीजे कोर्ट में अपील दायर कीए जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। प्रार्थिया के अधिवक्ता केदार प्रसाद शर्मा ने अपील कोर्ट को बताया कि दोनों का 1984 में विवाह हुआ था और दो सन्तानें हुई। 1991 में अप्रार्थी ने अपीलार्थी को विधिवत रूप से तलाक दिए बिना लाली नाम की अन्य महिला से शादी कर ली। जिसके भी एक पुत्र है. पति ने 9 माह की बेटी व बेटे सहित उसे घर से निकाल दिया। नगर निगम में कर्मचारी होते हुए भी पति ने पीड़िता एवं बच्चों के भरण पोषण बाबत एक पैसा भी नहीें दिया। पीड़िता को अपनी साझा गृहस्थी का निवास छोड़ने को मजबूर करने, भरण.पोषण राशि अदा नहीं करने एवं मारपीट करने को शारीरिक, आर्थिक, मानसिक एवं भावनात्मक रूप से घरेलू हिंसा कारित होना माना है।

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