नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने बुधवार को हथियारों के कारोबारी अभिषेक वर्मा को चौबीसों घंटे सुरक्षा मुहैया कराने का दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया। वर्मा सन् 1984 सिख दंगा मामले के गवाह हैं और उनका लाई डिटेक्टर टेस्ट कराया जाना है। अतिरिक्त महानगर दंडाधिकारी शिवाली शर्मा का आदेश उस वक्त आया, जब वर्मा ने उनसे कहा कि अगर उन्हें पर्याप्त सुरक्षा मिले तो वह पॉलिग्राफ टेस्ट के लिए तैयार हैं। पॉलिग्राफ टेस्ट होने तक वर्मा को चौबीसो घंटे सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश देते हुए अदालत ने कहा कि पॉलिग्राफ टेस्ट के बाद उन्हें आगे सुरक्षा देने पर अदालत विचार करेगी। अदालत ने पॉलिग्राफ टेस्ट की सहमति से संबंधित वर्मा के बयान को अलग से दर्ज किया। अदालत ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कहा है कि वह राष्ट्रीय राजधानी के उन अस्पतालों की सूची सौंपे, जहां लाई डिटेक्टर टेस्ट कराया जा सकता है। साथ ही उसने मामले की अगली सुनवाई के लिए एक अगस्त की तारीख तय की। वर्मा ने अदालत से कहा कि उन्हें, उनकी पत्नी व मां की जान को गंभीर खतरा है। अदालत सीबीआई की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर तथा वर्मा के लाई डिटेक्टर टेस्ट कराने की मंजूरी मांगी गई थी। मामला 1984 का है, जिसमें कांग्रेस नेता पर पुल बंगश इलाके में एक भीड़ का नेतृत्व करने का आरोप हैं, जिसने तीन सिखों का कत्ल कर दिया था। टाइटलर ने लाई डिटेक्टर टेस्ट कराने से इनकार किया था। एजेंसी का यह कदम वर्मा के उस आरोप के बाद आया है, जिसके मुताबिक टाइटलर ने गवाह सुरेंद्र सिंह को पैसे देने और उसके बेटे नरेंद्र सिंह को कनाडा भेजने का वादा कर प्रभावित किया था। सीबीआई ने मामले में पहले टाइटलर को क्लिन चिट दे दी थी, लेकिन वर्मा के आरोप के बाद चार दिसंबर, 2015 को मामले की जांच को फिर से खोला गया। अदालत ने एजेंसी को निर्देश दिया है कि वह पता करे कि वर्मा का बयान विश्वसनीय है या नहीं। एजेंसी ने सितंबर 2016 को मामले में अपनी जांच रिपोर्ट सौंपी थी, जिस पर भी सुनवाई अगली तारीख में होगी।

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