नई दिल्ली। देश भर में मानवाधिकार उल्लंघन की जितनी भी शिकायतें साल 2012 से साल 2016 के बीच दर्ज कराई गई हैं, उनमें से 49.5 फीसदी जम्मू एवं कश्मीर की हैं और ये सुरक्षाबलों के खिलाफ हैं। सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बताया कि साल 2012 से जनवरी 2016 के बीच सात राज्यों से कुल 186 शिकायतें आईं हैं। अन्य छह राज्यों में असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, नागालैंड तथा त्रिपुरा हैं। आरटीआई का जवाब कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव के वेंकटेश नायक को मंत्रालय के सीपीआईओ से इस साल अप्रैल में मिला। जवाब के मुताबिक, जनवरी 2016 तक इनमें से दो तिहाई से अधिक (127) शिकायतों का निपटारा किया जाना बताया गया। आंकड़ों में यह नहीं बताया गया कि ये शिकायतें सच या झूठ पाई गईं।

साथ ही, असम की 57 फीसदी से अधिक शिकायतें लंबित हैं। जवाब के मुताबिक, इस दौरान (2012 से जनवरी 2016) कुल शिकायतों में जम्मू एवं कश्मीर का आंकड़ा 49.5 फीसदी है और ये शिकायतें सुरक्षा बलों के खिलाफ की गई हैं। असम से शिकायतों का आंकड़ा 31 फीसदी से थोड़ा अधिक है। 11 फीसदी शिकायतें मणिपुर से आई हैं। अरुणाचल प्रदेश, मेघालय तथा त्रिपुरा से शिकायतों का आंकड़ा 10-10 फीसदी से भी कम है। इस दौरान नागालैंड से मात्र एक शिकायत मिली है। आंकड़ों के मुताबिक, 117 मामलों में 6.47 करोड़ रुपये की मदद प्रदान की गई है। नायक ने कहा, जम्मू एवं कश्मीर में पांच मामलों में आथिज़्क मदद दी गई। वहीं असम में 57 मामलों में 3.10 करोड़ रुपये की आथिज़्क मदद दी गई। जबकि मणिपुर में 38 मामलों में 2.28 करोड़ रुपये की आथिज़्क मदद दी गई। नायक ने कहा, मेघालय तथा त्रिपुरा के छह तथा आठ मामलों में 22 लाख रुपये की मदद दी गई है। नागालैंड की शिकायत में कोई आर्थिक मदद नहीं दी गई है।

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