deep skool aaaiph narsing va jayadurga narsing kolej ka maamala: narsing kolejon ka pharjeevaada, ek hee bilding mein chal rahe hain kaee kolej

जयपुर। प्रदेश मे इन दिनों नर्सिंग शिक्षा और नर्सिंग कांउसिल अपने सबसे अच्छे दौर से गुजर रही है…..ऐसा इस लिए कह रहे कि पिछले कई दिनों से ना तो राजस्थान नर्सिंग कांउसिल का विवादो से नाता टूट रहा है और ना ही नर्सिंग कॉलेजों के संचालकों द्वारा फजीर्वाडा करने में कोई कोर कसर छोड़ी जा रही है…..कुछ दिनो पूर्व चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ सहित चिकित्सा शिक्षा विभाग के उपशासन सचिव अजय असवाल व नर्सिंग काउसिल के पूर्व रजिस्ट्रार गोविन्द शर्मा सहित चिकित्सा मंत्री पुत्र पर पैसे लेकर मान्यता देने का वायरल कांड सुर्खिया बंटोर चुका है साथ ही चिकित्सा शिक्षा महकमें में नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने के पीछे चल रहें भ्रष्टाचार के खेल पर से भी पर्दा उठ चुका है ऐसे में प्रदेश व राजधानी के कई नर्सिंग कॉलजों के संचालको द्वारा जमकर फर्जीवाड़ा किया जा रहा है ऐसें में झोटवाडा स्थित संचालित दीप स्कूल आॅफ नर्सिंग एवं जयदुर्गा कॉलेज आॅफ नर्सिंग की मान्यता कई सवालिया निशान खडे हो रहें है इस कॉलेज के संचालक डॉ. अनिल गुप्ता द्वारा चिकित्सा शिक्षा के महकमें में अधिकारियों के गंठजोड़ कर बडे़ पैमाने पर फर्जी दस्तावेजों को आधार बनाकर मान्यता ली जा रही है लेकिन दिल्ली स्थित भारतीय नर्सिंग परिषद ने 11 अगस्त 2017 को जयदुर्गा कॉलेज आॅफ नर्सिंग व दीप स्कूल आॅफ नर्सिंग पर दो साल की रोक लगाते हुए कॉलेज संचालकों द्वारा एक ही बिल्डिंग पर अलग अलग कॉलेजों के नाम लगाकर फर्जी फोटो देने सहित कई खामियों का एक लेटर जारी कर कई सवाल खड़े कर दिए लेकिन उसके बाद भी चिकित्सा विभाग के आला अधिकारी सहित निरीक्षण अघिकारियों व उपशासन सचिव अजय असवाल ने इस कॉलेज पर मेहरबानी दिखाते हुए नर्सिंग छात्र आंवटन करवाने का पत्र जारी कर दिया।

राजस्थान राज्य में संचालित कई नर्सिग संस्थानो में राज्य ही नहीं बल्कि राज्य से बाहर के तकरीबन 2500 हजार छात्र-छात्राएं पढ़ने आते है वहीं पूरे प्रदेश से हर वर्ष 12000 हजार छात्र-छात्राएं नर्सिंग करके आम जनता की सेवा के लिए निकल रहे है। आमतौर पर प्रदेश में कई ऐसी भी संस्थाएं है जिनमें आज दिनांक तक केवल कागजों मे तो भारतीय नर्सिंग परिषद के निर्धारित मापदण्ड़ों को पूरा किया जा रहा है लेकिन उन कॉलेजों में निर्धारित मापदण्ड़ों की हकीकत आज भी कुछ और ही बंया करती है ….. ऐसी ही बानगी जयपुर के झोटवाडा स्थित दीप स्कूल आॅफ नर्सिंग एवं जयदुर्गा कॉलेज आॅफ नर्सिंग में देखने को मिली इस कॉलेज के संचालक अनिल गुप्ता द्वारा भी बडे पैमाने पर फर्जी दस्तावेजों को आधार बना कर मान्यता ली जा रही है …..चाहें फिर वो संस्थन की बिल्डिंग हो या फिर हॉस्पिटलों ंमें बताई जा रही बैडों की संख्या ही क्यो ना हों। इस कॉलेज की बिल्डिंग के बारे में आपको बता दे कि जिस जगह दीप स्कूल आॅफ नर्सिंग एवं जयदुर्गा कॉलेज आॅफ नर्सिंग का ंसंचालन किया जा रहा है उसी बिल्डिंग के अन्दर जय दुर्गा कॉलेज आॅफ फिजियोथेरेपी के बीपीटी कोर्स का भी संचालन किया जा रहा है साफतौर पर कहे तो एक ही बिल्डिंग में तीनों कॉलेज का संचालन पिछले कई सालो से किया जा रहा था जिसके गवाह आईएनसी के द्वारा 2009 में पीबीबीएससी कोर्स एवं वर्ष 2010 में बीएससी कोर्स सहित वर्ष 2013 में जीएनएम कोर्स के लिए जारी की गई एनओसी के लेटर पर डाले गए पते से भी चल रहा बिल्डिंग में दीप स्कूल आॅफ नर्सिंग को जीएनएम कोर्स में 60 सीटों पर छात्रो का आवंटन करने सहित जयदुर्गा कॉलेज आॅफ नर्सिंग में बीएससी कोर्स के लिए 50 सीटो पर व पीबीबीएससी कोर्स में 20 सीटों पर छात्रों को आंवटन करने का काम भारतीय नर्सिंग परिषद से लेकर चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा किया जाता है।

परिषद ने लगाए गंभीर आरोप, सब नजरअंदाज
भारतीय नर्सिंग परिषद ने 11 अगस्त 2017 को जय दुर्गा कॉलेज आॅफ नर्सिंग को कमीपूर्ति का पत्र देते हुए कॉलेज संचालन में आ रही कई खामियों का हवाला किया परिषद ने लिखा कि काफी समय से जय दुर्गा व दीप स्कूल के संचालको द्वारा कॉलेज भवन की फर्जी फोटोज परिषद में जमा करवाई जा रही थी जिसमें बिल्डिंग तो एक हि थी लेकिन कॉलेजों के नाम बदले जा रहे थे। एफिलेटेड हॉस्पिटलों जिसमें नर्सिग छात्रों को क्लिनिकलकी टेज्निंग दी जानी थी उन पर भी कई सवाल खड़े कर दिए साथ ही दीप डी-एडिटेशेन एण्ड फिजियोथैरेपी सेन्टर चैहान हॉस्पिटल रावल जिसके चलते परिषद ने संस्थान के निरीक्षण व कॉलेज बिल्डिंग अलग अलग नहीं होने तक पर आगामी दो साल तक किसी भी नर्सिंग कोर्स का संचालन करने पर रोक लगा दी थी साथ ही परिषद ने फर्जी दस्तावेज लगाकर मान्यता लेने को आपराधिक मानकर कानूनी कारवाई होने का हवाला तक किया था जिसकी जानकारी तत्कालीन राजस्थान नर्सिंग कांउसिल के रजिस्ट्रार गोविन्द शर्मा को पत्र भेजकर दी गई थी लेकिनचिकित्सा शिक्षा की कमान सभांल रहें चिकित्सा शिक्षा गुप्र 3 में लगे उपशासन सचिव अजय असवाल व राजस्थान नर्सिंग कांउसिल के पूर्व रजिस्ट्रार गोविन्द शर्मा ने इन बातो को दरकिनार करते हुए 31 जनवरी 2018 का जय दुर्गा कॉलेज आॅफ नर्सिंग को पोस्ट बेसिक बीएससी व बीएससी नर्सिंग कोर्स में नियमानुसार छात्र आंवटन करने का पत्र जारी कर दिया उसी पत्र के आधार पर नर्सिंग कॉलेज की फैडरेशन ने दोनों कोर्स में छात्रों का आंवटन तक कर दिया जबकि सवाल यह खड़ा होता है कि जिस कॉलेज के इतने बडे फजीर्वाडे़ को लेकर भारतीय नर्सिंग परिषद पहले ही आगाह कर चुका था उसके बाद भी आखिरकार इस कॉलेज के संचालक अनिल गुप्ता पर महकमें के आला अधिकारी ने मेहरबानी क्यो दिखाई वही सूत्रो की माने तो इस मेहरबानी के पिछे ऊँचे रसुखात व कई सफेदपोश नेताओं का सरक्ष्ांण जैसे कयास लगाए जा रहें है आखिरकार दीप स्कूल व जय दुर्गा कॉलेज के संचालको द्वारा भष्ट्राचार की आड़ में कॉलेज की मान्यता को बरकरार कर रखा ऐसे में परिषद से आए खामियों का इतना गंभीर पत्र अब केवल फाईलो में ही दम तोड़ता नजर आ रहा है ….

हेल्थ यूनिवर्सिटी में भी जमकर धांधली
मान्यता देने वाले के साथ साथ नर्सिंग कॉलेज की संबद्वता देने वाला राजस्थान स्वास्थय विज्ञान विश्वविधालय भी फजीर्वाडे़ से अछुता नहीं रहा विश्वविधालय में शेक्षणिक शाखा की कमान संभाल रहे डॉ. एसएस मुदग्ल का भी भरपूर सहयोग मिला यह बात इस लिए कही जा रही है क्यो कि स्वास्थय विश्वविधालय में कॉलेज संचालको द्वारा संबद्वता के दस्तावेजो को जमा करवाया जाता है उस विभाग की कमान डॉ. एस.एस.मुदग्ल के पास ही है वही यह विभाग ऐसा है जहां पर प्रदेश कें सचालित सभी डिग्री नर्सिंग कॉलेज के संचालको को मापदण्डों से संबधित जिसमें टिचिंग फेक्लटी व पेरेन्टल एवं एफिलेटेड हॉस्पिटलों सहित अन्य सभी दस्तावेज के जमा करवाने होते है वहीं स्वास्थय विश्वविधालय द्वारा समय समय पर दस्तावेजों की जांच पड़ताल कर खामियों का नोटिस जारी किया जाता है विश्वविधालय द्वारा संबद्वता जारी करने से पूर्व कॉलेजो का निरीक्षण (भौतिक सत्यापन ) तक करवाया जाता है लेकिन विश्वविधालय में मिलीभगत और रसुखात के आगे फर्जी दस्तावेज पर भी असली मान्यता की मोहर लग जाती है। ऐसा ही कुछ डॉ अनिल गुप्ता के तीनों कॉलेजों में देखने को मिल रहा है अनिल गुप्ता का तीसरा कॉलेज जय दुर्गा कॉलेज आॅफ फिजियोथेरेपी के बीपीटी कोर्स के संचालन की संबद्वता भी इसी विश्वविधालय द्वारा दी गई है जबकि आपको बता दे कि स्वास्थय विश्वविधालय के स्तर पर भी डॉ अनिल गुप्ता के तीनो कॉलेज के संचालन के लिए एक बिल्डिंग के दस्तावेजों कों जांच पड़ताल व निरीक्षण के समय सही मानकर संबद्वता दी जाती रही है लेकिन बडा सवालिया निशान उठता है कि स्वास्थय विश्वविधालय द्वारा होने वाले निरीक्षण व निरीक्षण कमेटी सहित बोर्ड आॅफ मैनजमेंट ने आज तक इस फजीर्वाडे़ पर लगाम लगाने की कोई जहमत तक नहीं उठाई गई बल्कि निरीक्षण अधिकारी से लेकर स्वास्थय विश्वविधालय का संबधित विभाग इस इस फजीर्वाडे़ का दामन थामें हुए अपनी अपनी रोटीयां सेखने में लगे रहें जिसके चलते एक ही बिल्डिंग को तीनों का आधार मानते हुए संबद्वता देनें का काम किया जाता रहा।

एक हॉस्पिटल बना दो कॉलेजों का पेरेन्टल
वहीं सबसे बडा सवाल यह है कि नर्सिंग कॉलेज के संचालन व नर्सिंग छात्रों क्लिनिकल ट्रेनिंग देने के लिए किसी भी नर्सिंग कॉलेज के पास पेरेन्टल व एफिलेटेड हॉस्पिटलों का होना आवश्यक है भारतीय नर्सिंग परिषद ने पेरेन्टल हॉस्पिटल में 100 बैड का मापदण्ड़ निर्धारित कर रखा है साथ ही एक हॉस्पिटल एक कॉलेज का ही पेरेन्टल हो सकता है लेकिन अनिल गुप्ता ने झोटवाड़ा स्थित स्वंय के दीप हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेन्टर को दीप स्कूल आॅफ नर्सिंग एवं जयदुर्गा कॉलेज आॅफ नर्सिंग का पेरेन्टल हॉस्पिटल बताकर मान्यता ले रखी थी नियमों के विपरीत चल रहें इस नर्सिंग कॉलेज पर आईएनसी से लेकर चिकित्सा शिक्षा विभाग व हेल्थ यूनिवर्सिटी द्वारा लगाए गए निरीक्षण अधिकारीयों ने कभी भी अपनी निरीक्षण रिर्पोट में पेरेन्टल हॉस्पिटलों को गलत नहीं माना बल्कि सहीं मानते हुए मान्यता दिलवानें में अहम भुमिका अदा करते रहें वहीं डॉ अनिल गुप्ता ने दीप हॉस्पिटल में लगे बैडों की संख्या में भी बडें पैमाने परझोलझाल कर रखा है। नर्सिंग संचालकों के साथ साथ कॉलेज प्रिसिपल भी इस फजीर्वाडे के बराबर भागीदार बने बैठें है जिनके फर्जी दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कर विभागों में दिए जा रहें इन्ही फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से कई संस्थानों के पौबारह हो रही है लेकिन आरएनसी व राज्य सरकार की उदासीनता के चलते कॉलेज संचालक डॉ अनिल गुप्ता के हौसलों को आज भी हवा मिल रही है।

नर्सिंग परिषद के दामन पर भी दाग
भारतीय नर्सिंग परिषद ने इस पुरे खेल का खुलासा कर अपने दामन को बचाने का काम किया लेकिन सवाल यह भी उठता है कि आखिरकार कई सालो से चल रहें इस कॉलेज में फर्जीवडें का आगे बढाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जिसमें परिषद से लगने वाले निरीक्षण अधिकारी से लेकर अध्यक्ष व सचिव ने भी जमकर मान्यता देने की बाली लगाई आपको बता दे कि दीप स्कूल आॅफ नर्सिंग को परिषद ने 2003 मे ही हरी झंडी देदी थी वही जयदुर्गा कॉलेज आॅफ नर्सिंग को वर्ष 2008 में मान्यता दी गई साफतौर परे कहेंतो यह पूरा फजीर्वाड़ा 2003 से लेकर 2017 तक चलता रहा। इस फजीवाडें कोआधार बनाकर डॉ. अनिल गुप्ता ने ऐसा ही खेल राज्य सरकार से लेकर राजस्थान स्वास्थय विश्वविधालय एवं राजस्थान नर्सिंग कांउसिल में कार्यरत अधिकरीयों के गठजोड़ से चलाता रहा जिन्होनें भी इस फर्जीवाड़े को आगे बढाने में हर संभव मदद की। वहीं नर्सिंग परिषद द्वारा 14 नवंबर 2018 को इन दोनों कॉलेज का निरीक्षण किया गया है जिसमें भी सुत्रों से मिली जानकारी के अनुसार डॉ.अनिल गुप्ता ने मोटी रकम देकर इन सब खामियों को नजर अंदाज करवाकर मान्यता दिलवाने का काम किया।

नर्सिंग कांउसिल बना सारथी
वर्ष 2003 से लेकर 2017 तक परिषद को प्रदेश में संचालित सभी नर्सिंग कॉलेज जिसमें जीएनएम, बीएससी, पीबीबीएससी, एमएससी कोर्स सें संबधित समस्त दस्तावेजों की पत्रावली को भेजनें का जिम्मा दिया गया था लेकिन नर्सिंग कांउसिल में आज तक भी किसी भी रजिस्ट्रार ने नर्सिंग कॉलेज का निरीक्षण किए बिना ही पत्रावलीयों को भेजकर अपनी जिम्मेवारी से पल्ला झाडं़ने का काम किया। सुत्रो की माने तो कांउसिल ने भी परिषद से आए कमीपूर्ति के इस लेटर को दबाने का काम किया साथ ही आज भी कांउसलिंग द्वारा चल रहें इस फर्जीवाड़े को़ सारथी बनकर मान्यता दिलवाने का काम बदस्तूर जारी कर रखा है। प्रदेश में संचालित कई नर्सिंग कॉलेजों में आज भी ढेर सारी खामिया है इस बाबत काउंसिल से लेकर परिषद व लोकायुक्त, राज्यपाल तक शिकायतें दर्ज करवाई गई लेकिन किसी भी शिकायतों पर विभाग ने कोई ठोस कारवाई नहीं कि बलिक इन्ही विभागों में लगे अधिकरीयों की सांठगांठ ने आज नर्सिंग शिक्षा को व्यापार बनाकर रख दिया है।

कार्रवार्ई के नाम पर लीपापोती
फर्जी दस्तावेजों के आधार पर डॉ अनिल गुप्ता द्वारा पिछले कई सालों से इस नर्सिंग कॉलेज का संचालन किया जाता रहा है लेकिन भारतीय नर्सिंग परिषद से आए कमीपूर्ति के लेटर ने चिकित्सा शिक्षा विभाग सहित कई निरीक्षण अधिकारीयों पर सवालिया निशान लगा दिए है जबकि संबद्वता देने वाला राजस्थान स्वास्थय विज्ञान विश्वविधालय आज भी चुप बैठा है जबकि इस फजीर्वाडें को लेकर राजस्थन सम्पर्क तक शिकायतें ंकी जा चुकी है जिसमें विश्वविधालय को जांच कर कारवाई करने का जिम्मा दिया गया है लेकिन आज भी विश्वविधालय इस कॉलेज पर कारवाई करने से गुरेज कर रहा है वही अब इस पूरे फजीर्वाडें में देखना रोचक होगा कि डॉ अनिल गुप्ता के ऊॅचें रसूखात और विभाग की मेहरबानीयों के चलते कब तक नर्सिग कॉलेज के खिलाफ चिकित्सा शिक्षा विभाग गुप्र तीन सहित स्वास्थय विश्वविधालय व राजस्थान नर्सिंग कांउसिल कारवाई करने की जहमत उठाती है और शिक्षा को व्यापार बनाने वाल डॉ. अनिल गुप्ता पर कब जांच एंजेसीयां की नजरें इनायत होती है उसके बावजुद ही पता चलेगा कि इस बडें फर्जीवाड़े की परत पर से पर्दा उठ पाता है या नहीं। फिर ऐसे में कहीं कारवाई करने वाले हाथ भी भष्ट्राचार का दामन थामने पर मजबुर तो नहीं हो जाएंगे।

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