जयपुर: हमारे जीवन में दो तरह की सोच होती ह सकारात्मक और नकारत्मक इन दोनों सोचो में बहुत फर्क है| हम अपने विचारों पर नियंत्रण कर सकते है यह हमारे ऊपर निर्भर करता है के हमे सकारात्मक सोचना है या नकरात्मक|

जाये सकारात्मकता की और :-
विश्वाश से ही सकारात्मकता की पहल होती है| जब हम किसी अँधेरी रह पर चल रहे है जहां चरों
और अँधेरा है और कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा हो तब हम वहां छोटा सा दीपक जला दे तो वह चरों औरफैले अँधेरे को कुछ समय में दूर कर देगा| इसी प्रकार आशा की एक किरण सभी बुरे विचारों को एक पल में मिटा सकती है|

इसी तरह नकारात्मकता को नकारात्मकता नहीं बल्कि, सकारात्मकता ही मिटा सकती है| इसीलिए जब कभी कोई नकारात्मक विचार आये तो उसे किसी भी तरह सकारात्मक विचार में बदल दे|

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