स्वराज केंद्र

दिल्ली| उत्तर प्रदेश की याेगी सरकार की आलू खरीद याेजना हवाई निकली। किसानाें के आलू की एक फीसदी खरीद भी न कर पाने में सरकार विफल रही, आलू किसानाें काे काेई राहत नहीं मिल सकी। उक्त बयान जय किसान आन्दाेलन के संस्थापक व स्वराज इंडिया के अध्यक्ष याेगेन्द्र यादव ने आज यहां जारी करते हुए कहा कि  याेगी सरकार का असली चेहरा सामने आ गया है वह किसानाें काे काेई राहत नहीं देना चाहती केवल झूठा प्रचार कर वाहवाही लूटना चाहती है।

याेगेन्द्र यादव ने बताया कि 10 अप्रैल काे अपनी दूसरी कैबिनेट में याेगी सरकार ने बाजार हस्तक्षेप याेजना के तहत 10 लाख िक्वंटल आलू 487 रूपया िक्वंटल की दर से खरीदने की घाेषणा की थी। लेकिन केवल 12 हजार कुन्तल आलू की खरीद ही सरकार कर सकी। एक रिपाेर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश में साढे पन्द्रह लाख िक्वंटल आलू पैदा हुआ सरकार उसका 0.1 फीसदी आलू भी नहीं खरीद सकी।

किसान उत्पादन लागत से बेहद नीचे दाम पर घाटे में आलू बेचने काे मजबूर हैं। आलू खरीद न हाे पाने का एक बड़ा कारण सरकार द्वारा आलू के आकार का मानक 33एमएम से 55एमएम के बीच तय करना रहा। 100 कुन्तल आलू में करीब 20कुन्तल आलू ही इस मानक के अन्दर आता है। यदि किसान आलू बेचने आता ताे 100कुन्तल में से 80 कुन्तल आलू वापस ले जाना पडता, उसे दुगना भाड़ा देना पड़ता आैर किसान काे घाटा उठाना पड़ता। उन्हाेंने कहा कि आकार का  इतना कठाेर मानक तय करने से जाहिर हाेता है कि याेगी सरकार की मंशा आलू खरीदने की नहीं थी। यदि सरकार की मंशा आलू खरीदकर किसानाें काे राहत देने की हाेती ताे वह एेसा मानक नहीं बनाती आैर जिन किसानाें ने काेल्ड स्टाेरेज में आलू रख दिया था उसके किराये का भुगतान करके आलू खरीदती।यादव ने कहा कि आलू किसानाें के सवालाें काे आन्दाेलन का मुद्दा बनाया जाएगा आैर देश में चल रहे किसान आन्दाेलन से उनकाे जोड़ने के लिए जय किसान आन्दाेलन पहल करेगा।

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