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  • राकेश कुमार शर्मा
    जयपुर। केन्द्रीय खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्रालय के अधीन केन्द्रीय वेयरहाउस कार्पोरेशन में चेयरमैन बनने के लिए साढ़े चार करोड़ रुपए देने के बहुचर्चित मामले में दिल्ली की पार्लियामेन्ट स्ट्रीय थाना पुलिस ने भले ही चेयरमैन का ख्बाव देख रहे और साढ़े चार करोड़ रुपए देने वाले राजस्थान की राजधानी जयपुर के एक भाजपा नेता सीताराम शर्मा (बागड़ा)को गिरफ्तार कर लिया हो, लेकिन चेयरमैनशिप का सपना दिखाकर मोटी रकम ऐंठने और झूंठा नियुक्ति पत्र निकालने वाले शातिर बिचौलिए, लाइजनर पुलिस पकड़ से बाहर है, साथ ही वे बड़े राजनेता भी कानून के शिकंजे में आएंगे या नहीं, जिनसे लाइनजनों ने सीताराम को मिलाया और उनके ठोस आश्वासन के बाद ही वह इन्हें इतनी बड़ी रकम भी दी। दिल्ली पुलिस ने जयपुर के सीताराम बागड़ा को धर लिया, लेकिन दिल्ली में बैठे उन बिचौलियों व लाइजनरों को नहीं पकड़ पाई, जिन्होंने मोटी रकम प्राप्त की और झूंठे नियुक्ति पत्र भी जारी करके दिए। हालांकि पुलिस दावा कर रही है कि जल्द ही इन्हें भी गिरफ्तार कर लेंगी। पुलिस साढ़े चार करोड़ रुपए लेने वाले लाइजनर और दिल्ली के बड़े कारोबारी नवीन गोयल, जयपुर में सीताराम के नजदीकी सांगानेर के मनोहरपुर निवासी राजकुमार शर्मा बागड़ा और जयपुर के एक और बिचौलिए सुभाष शर्मा की गिरफ्तारी में लगी हुई है। सीताराम ने चेयरमैन बनने के लिए नवीन गोयल के खाते में दो करोड़ रुपए जमा कराए थे और शेष राशि नकदी के तौर पर दी बताई जाती है। फर्जी नियुक्ति का यह मामला उजागर होने के बाद से ही तीनों गायब हो गए थे। हालांकि इस मामले को लेकर साढ़े चार करोड़ रुपए गंवाने वाले सीताराम बागड़ा ने कोई प्राथमिकी या शिकायत पुलिस में नहीं दी थी। बल्कि दैनिक भास्कर में प्रमुखता से यह मामला उजागर होने के बाद केन्द्रीय खाद्य व नागरिक आपूर्ति मंत्रालय ने ही स्वत प्रसंज्ञान लेते हुए इस संबंध में पार्लियामेन्ट स्ट्रीय थाना पुलिस में प्राथमिकी दर्ज करवाई थी। अनुसंधान में मामला सही पाए जाने पर पुलिस ने सबसे पहले राशि देने वाले सीताराम बागड़ा को गिरफ्तार किया। साथ ही लेन-देन के खातों को भी सीज कर दिया है।
    – फंस सकते हैं केन्द्र और राजस्थान के बड़े राजनेता, बयान में नामों के खुलासा की चर्चा
    साढ़े चार करोड़ रुपए की इस दलाली प्रकरण में केन्द्र और राजस्थान भाजपा के एक बड़े राजनेता की लिप्तता भी बताई जा रही है। सियासी क्षेत्र और सीताराम बागड़ा के नजदीकी लोगों में चर्चा है कि तीनों फरार लाइजनर और बिचौलियों ने राजस्थान और केन्द्र के एक बड़े राजनेता से सीताराम बागड़ा को मिलाया था। तीन-चार बार इनसे मुलाकात भी हुई। ठोस आश्वासन मिलने के बाद सीताराम बागड़ा ने इतनी बड़ी राशि आरोपित बिचौलियों को दी। बताया जाता है कि पुलिस रिमाण्ड के दौरान हुई पूछताछ में इन राजनेताओं के नामों का खुलासा सीताराम ने किया है। वैसे भी प्रारंभिक अनुसंधान में यह तो तय हो गया है कि सीताराम बागड़ा ने बिचौलियों के माध्यम से उन राजनेताओं से मुलाकात की थी, जिन्होंने उसे चेयरमैन बनाने का आश्वासन दिया था। मामले में अगर पुलिस निष्पक्ष जांच कर पाई तो इन राजनेताओं की गिरफ्तारी भी संभव है। दोनों राजनेता काफी प्रभावशाली बताए जाते हैं। ऐसे में अंदेशा जताया जा रहा है कि इन नाम उजागर होने पर पार्टी व सरकार की प्रतिष्ठा को आंच आ सकती है, इसलिए मामले की जांच बिचौलियों व लाइजनरों तक ही सीमित रखी जा सकती है और राजनेताओं का नाम मामले से निकाला जा सकता है। क्योंकि नोटबंदी को लेकर पहले से ही विपक्ष के निशाने पर आ रखी सरकार और पार्टी को नुकसान पहुंच सकता है। विपक्ष इस मामले में लिप्त पाए जाने वाले नेताओं व सरकार की कार्यशैली को निशाने पर ले सकती है। अब देखना है कि पुलिस इसके बयानों के आधार पर उन राजनेताओं तक पहुंच पाती है या नहीं। या फिर सिर्फ बिचौलियों व सीताराम बागड़ा को ही गिरफ्तार करके मामला का यहीं पटाक्षेप कर दिया जाएगा। वैसे कुछ भी होगा, लेकिन इस मामले में राजनीतिक नियुक्तियों में धांधली और भ्रष्टाचार की पोल सामने जरुर ला दी है।
    – जमीन बेचकर जुटाई रकम, सदमे से पिता की मौत
    सियासी और सीताराम बागड़ा के नजदीकी लोगों में चर्चा है कि वेयरहाउस चेयरमैन बनने के लिए साढ़े चार करोड़ रुपए की रकम जमीन बेचकर जुटाई थी। वैसे तो यह भी चर्चा है कि यह रकम तो लेन-देन के रिकॉर्ड में होने के कारण सामने आई है, वैसे इससे ज्यादा ही रकम जिए जाने की चर्चा बाजार में है। यह भी चर्चा है कि चेयरमैन का नियुक्ति पत्र फर्जी साबित होने के बाद भी आरोपी बिचौलियों व लाइजनर ने ली गई रकम वापस नहीं दी। जब यह मामला मीडिया में उठा तो सीताराम बागड़ा के परिजन खासकर पिता सदमे में आ गए थे और मामले के दूसरे व तीसरे दिन उनकी मौत भी हो गई थी। हालांकि यह भी बताया जाता है कि पहले से ही बीमार होने के कारण वे चल बसे थे, लेकिन इस मामले को लेकर वह काफी सदमे में थे। खुद सीताराम बागड़ा भी अपने नजदीकी लोगों को कहते रहते थे कि इस मामले से काफी बदनामी हुई है। चेयरमैनशिप तो मिली नहीं, बल्कि धोखेबाज लोगों के कारण इज्जत खराब हुई सो अलग। न्यायिक अभिरक्षा में चल रहे सीताराम बागड़ा की जमाानत अर्जी के लिए परिवार के लोग भागदौड़ कर रहे हैं।

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