सूरत। गुजरात बोर्ड में कक्षा 12वीं (साइंस) की परीक्षा के दौरान 99.99 परसेंटाइल से टॉप करने वाले 17 वर्षीय वर्शील शाह ने अब संसार की मोहमाया का त्याग कर दिया है। वर्शील ने भौतिकता भरे संसार को त्याग कर जैन दीक्षा लेने की तैयारी कर ली है। अब वो गुरुवार को जैन दीक्षा ले लेगा। गुजरात के पालड़ी निवासी वर्शील शाह का मानना है कि जीवन में सबसे बड़ा सुख तो भौतिक सुख सुविधाओं का त्याग करने से ही मिलता है, इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर उसने दीक्षा लेने का निर्णय लिया। ऐसे में जहां आज का युवा अपना भविष्य संवारने के लिए किताबों में ही खोया रहता है, वहीं वर्शील का दिमाग तो संसार की मोहमाया से उब चुका था। वो तो बस इससे पार पाने की मकसद से ही उधेड़बुन में लगा था। उसने तय किया कि वो संसार का त्याग कर जैन संन्यासी बनेगा। हालांकि पेशे से आयकर अधिकारी वर्शील के पिता जिगह शाह व मां को उसके निर्णय पर कोई पछतावा नहीं है। उसका परिवार उसके इस निर्णय से खुश हैं। वर्शील के परिवार भी धर्म व आध्यात्म की ओर समर्पित है। यही वजह रही कि वर्शील घूमने फिरने के बजाय सत्संग में ज्यादा ध्यान लगाता था। इसी को लेकर वर्शील ऐसे जैन मुनियों के संपर्क में आया, जो संन्यास लेने से पहले डॉक्टर, इंजीनियर सहित अन्य ऊंचें ओहदों व पेशे से जुड़े थे। उन्हीं से प्रेरित होकर वर्शील ने इसका संकल्प ले लिया। वैसे गुजरात बोर्ड परीक्षा टॉप करने के बाद वर्शील की चाह तो सीए बनने की थीं। लेकिन जैन मुनियों के प्रवचनों ने उसके जीवन की राह बदल दी। अब गुरुवार को वर्शील का दीक्षा समारोह जैन संत कल्याण रतन विजयजी की अगुवाई में होगा।

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