Two daughters gave life, not reforming society ...
जयपुर। देश में दो बड़ी घटना हुई, जो समाज को झकझोर देने वाली है। एक जयपुर में तो दूसरी हैदराबाद में। दोनों घटनाओं में परिवार की सबसे लाड़ली बेटियों ने अपनी जान देकर समाज को बड़ा संदेश देने की कोशिश की है। पहले भी ऐसी कई घटनाएं हो चुकी है, लेकिन ना तो अभिभावक समझ पा रहे हैं और ना ही दूसरे भाई-बहन व रिश्तेदार। इस वजह से होनहार बेटे-बेटियों की जाने-अनजाने उनकी मौत या कहे सुसाइड के भागीदार बन रहे हैं। जयपुर में हुई घटना में नया खेड़ा अम्बाबाडी निवासी बीस साल की कोमल सिंह ने इसलिए सुसाइड कर लिया कि वह अपने माता-पिता के आए दिन के झगड़ों से परेशान थी। कई बार कहने और समझाइश के बाद भी माता-पिता झगड़ा नहीं छोड़ रहे थे। इससे वह मासूम बेटी बहुत दुखी रहती थी और डरी सहमी। उसे कुछ सूझ नहीं रहा था कि वे क्या करें मम्मी-पापा लड़े नहीं, बल्कि प्यार से रहें।
दो दिन पहले जब माता-पिता में फिर से झगड़ा हुआ तो वह काफी विचलित हो उठी। उसने जब मम्मी-पापा काम पर चले गए तो कमरा बंद करके फंदे पर झूल गई। पड़ौसी बच्चे ने देखा तो वह दौड़कर कोमल की मां के पास पहुंचा। मां ने कोमल को नीचे उतारा। अस्पताल लेकर दौड़ी, लेकिन वह बचा नहीं पाई। अपनी जान देकर माता-पिता को कह गई कि अब वह दुनिया में नहीं है, लेकिन फिर भी मत लड़ना। प्यार से रहना। यहीं मुझे सबसे बड़ी खुशी देगी। इसी तरह हैदराबाद में नौंवी क्लास में पढ़ने वाली छात्रा को स्कूल प्रबंधन ने परीक्षा नहीं देनी दी। टीचर ने उसे क्लास में काफी अपमानित नहीं किया। हालांकि यह बात अपने परिजनों को शेयर नहीं कर पाई। उसने घर जाकर पंखे से झूलकर जान दे दी। एक सुसाइड नोट लिखा है, जिसमें मां को संबोधित करते हुए कहा है सॉरी मां, स्कूल वालों ने मुझे एग्जाम नहीं देने दिया। मैं जा रही हूं। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरु कर दी है। समाज के लिए यह बड़ी घटना है। हर किसी अभिभावक व समाज को चाहिए कि वे अपने बच्चों से बराबर बात करते रहे, उन्हें अच्छे-बुरे के बारे में बताएं। कोई बात होने पर उसे शेयर करने और छिपाने के बजाय बताने के लिए कहे। सुसाइड जैसे कायरना कदमों से दूर रहने की सीख देते रहे।

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