-राकेश कुमार शर्मा

जयपुर। राजस्थान की भाजपा सरकार में दो दिन से राजनीतिक फैसलों से धमाके हो रहे हैं। दो दिन पहले मंत्रिमण्डल विस्तार में कई नामी मंत्रियों को कमतर विभाग देकर उनका कद घटाया तो एक दिन पहले भाजपा कार्यकारिणी में भी बड़े नेताओं को ज्यादा तवज्जो नहीं मिली। अब जयपुर के महापौर की विदाई ने रही-सही कसर पूरी कर दी। मंगलवार दोपहर में भाजपा मुख्यालय में जयपुर नगर निगम के सभी भाजपा पार्षदों को बुलाकर उनकी बाडेबंदी कर दी गई। शाम तक महापौर निर्मल नाहटा का इस्तीफा भी लेना बताया जा रहा है। हालांकि नए महापौर के बारे में मंगलवार देर रात या फिर बुधवार को घोषणा की जा सकती है। बताया जाता है कि निर्मल नाहटा को महापौर बनाने में पूर्व यूडीएच मंत्री और वर्तमान में उधोग मंत्री राजपाल सिंह शेखावत की भूमिका रही। हालांकि दो दिन पहले उनका विभाग बदलते ही जयपुर मेयर को हटाने का घटनाक्रम भी तेजी से घूमा। मेयर निर्मल नाहटा के इस्तीफे से एक तीर से कई निशाने साधे जाने की चर्चा है। इस फैसले से सबसे ज्यादा असर राजपाल सिंह पर पड़ेगा। एक तरह से पार्टी-सरकार ने राजपाल सिंह के प्रभाव को कम किया है, साथ ही यह मैसेज भी दिया है कि पार्टी हित में कार्य नहीं करने पर उन्हें पद भी गंवाना पड़ सकता है। उधर, राजपाल सिंह का विभाग बदलते ही शहर के विधायकों और सांसद ने भी लॉबिंग करते हुए मेयर को हटाने का दबाव बनाना शुरु कर दिया। वैसे भी जब से निर्मल नाहटा को मेयर बनाया गया है तभी से अधिकांश विधायकों व पार्षदों का समर्थन उन्हें नहीं मिल पाया। ना ही वे नगर निगम को संभाल पाए। हिंगोनिया गौशाला में गायों की मौतों, बिगड़ती सफाई व्यवस्था, टेण्डरों में घोटालों के आरोप-प्रत्यारोप उन पर लगते रहे। अफसरों के हावी होने और पार्षदों की सुनवाई नहीं होने से कई बार नगर निगम की साधारण सभा और सदन के बाहर भी पार्षद मेयर के खिलाफ कई बार मोर्चा खोल चुके थे। हालांकि मेयर निर्मल नाहटा को यूडीएच मंत्री रहे राजपाल सिंह का वरदहस्त होने के चलते कुछ नहीं बिगड़ा। मेयर को लेकर स्थिति इतनी बिगड़ चुकी थी कि भाजपा प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी की अध्यक्षता में पार्षदों की बैठकें हुई और मेयर को सपोर्ट करने की हिदायतें दी गई, लेकिन इसके बाद भी हालात नहीं सुधरे। ना तो पार्षदों की सुनवाई हुई और ना ही नगर निगम की व्यवस्थाओं में सुधार हो पाया। शहर के बिगड़ते हालात और कार्यकर्ताओं की नाराजगी को लेकर विधायक भी अपनी बात पार्टी आलाकमान और मुख्यमंत्री तक बता चुके थे। ऐसे में यूडीएच मंत्री राजपाल सिंह का विभाग बदलते ही मेयर निर्मल नाहटा के नगर निगम को संभालना मुश्किल हो जाता है। विवादों से बचने के लिए पार्टी ने मेयर को हटाने का फैसला लिया और अचानक पार्षदों को बुलाकर मेयर बदलने के संकेत भी दे दिए। सभी पार्षदों की बाडेबंदी करते हुए होटल में ठहराया गया है। संभवतया बुधवार को नए मेयर की घोषणा हो सकती है।

— कांग्रेस ने बना रखा नगर निगम को मुद्दा
मेयर निर्मल नाहटा को हटाने के पीछे एक बड़ा कारण भाजपा पार्षदों की नाराजगी और मेयर की निगम में ढीली पकड़ तो रही, साथ ही गायों की मौत, बिगड़ती सफाई व्यवस्था, सील के खेल में कमीशन, टेण्डरों में घोटाले और दूसरे विकास कार्य नहीं होने को लेकर कांग्रेस ने भी इसे बड़ा मुद्दा बना रखा था। कांग्रेस पार्षद नगर निगम में तो हंगामा करते ही थे, बाहर भी कांग्रेस ने भी भाजपा बोर्ड और भाजपा सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था। इससे सरकार की बदनामी हो रही थी। भाजपा विधायक भी बिगड़ती व्यवस्था को देखकर विधानसभा चुनाव में पार्टी को नुकसान उठाने की कहते रहे हैं।

– ये हैं मेयर के दावेदार
निर्मल नाहटा के इस्तीफे के भाजपा में नए मेयर को लेकर कवायद शुरु हो गई है। पार्टी आलाकमान नए मेयर के संबंध में विधायकों के साथ पार्षदों से भी राय-मशविरा कर रहा है। चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ, विधायक मोहन लाल गुप्ता, सुरेन्द्र पारीक, सांसद रामचरण बोहरा अपने समर्थक पार्षदों को मेयर बनाने के लिए लॉबिंग में लग गए हैं। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी के विधानसभा क्षेत्र के पार्षद भी मेयर की दौड़ में बताए जाते हैं। हालांकि किसकी किस्मत जोर पकड़ती है, यह तो पार्टी घोषणा से पता चल पाएगा, लेकिन मेयर की दौड़ में पार्षद अशोक लाहोटी, अशोक गर्ग, सत्यनारायण धामाणी, डिप्टी मेयर मनोज भारद्वाज, विष्णु लाठा के नाम प्रमुखता से लिए जा रहे हैं। नगर निगम की समितियों के अध्यक्षों को भी बदलने की चर्चा है।

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