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जयपुर। अमानतदारों एवं न्यास के ट्रस्टियों की बिना सहमति अपने निजी फार्म हाउस की वाउण्ड्रीवाल बनवाकर ट्रस्ट को 39,6०,००० रुपए की हानि पहुंचाने के अपराध में 27 सितम्बर को गिरफ्तार किए गए डॉ. अनुराग तोमर की जमानत अर्जी गुरुवार को एडीजे-4 जयपुर जिला राजेश गुप्ता की कोर्ट से भी खारिज हो गई। इससे पहले डॉ. तोमर की जमानत अर्जी निचली अदालत ने 28 सितम्बर को खारिज कर दी थी। अब अपील कोर्ट ने आदेश में कहा है कि मुलजिम के विरुद्ध धारा 42०, 4०9 आईपीसी के तहत प्रकरण अन्वेक्षणाधीन है, धारा 4०9 में आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है। अपराध की गंभीर प्रकृति एवं तथ्यों, परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए जमानत प्रार्थना पत्र स्वीकार किया जाना न्याय संगत प्रतीत नहीं होता है।

प्रार्थी के एडवोकेट मनोज अग्रवाल की दलील थी कि प्रार्थी व उसके पिता परिवादी बलवीर सिंह तोमर के मध्य एवं परिवार के अन्य सदस्यों तथा ट्रस्टियों के बीच इण्डियन मेडिकल ट्रस्ट, जयपुर के अधिकरों से संबंधित सिविल मुकदमे विचाराधीन है। साथ ही एक-दूसरे के खिलाफ अन्य मुकदमे भी लम्बित हैं। लेकिन एक प्रकरण में पुलिस से मिलीभगत कर अवैध आधारों पर गिरफ्तार करवाया गया है। सिविल प्रकृति के प्रकरण में नाजायज दबाव बनाने के लिए परेशान किया जा रहा है। प्रकाश ठेकेदार को किया गया उपरोक्त भुगतान निम्स विश्वविद्यालय में किए जा रहे निर्माण कार्यों के प्रति दिया गया है। परिवादी बी.एस. तोमर स्वयं आपराधिक प्रकृति का है। जिसके खिलाफ अशोक नगर व मोती डूंगरी थानों में मुकदमें दर्ज हैं। प्रार्थी का यह भी कहना था कि कोर्ट आदेश दे तो वह गबन की बताई गई सम्पूर्ण राशि ट्रस्ट में जमा कराने को तैयार है। सरकार ने जमानत प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुए कोर्ट को बताया कि अभियुक्त ने निम्स विश्वविद्यालय के ट्रस्टी/न्यासी की हैसियत से विश्वास एवं अधिकार का नाजायज लाभ उठाते हुए स्वयं के निजी लाभ के लिए ट्रस्ट की निधि को स्वयं के उपयोग में लेकर दुरुपयोग किया है।

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