Food Subsidy Bill

delhi. केन्‍द्रीय वित्‍त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री अरुण जेटली ने आज संसद के पटल पर आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 प्रस्‍तुत किया। समावेशी रोजगार-केन्द्रित उद्योग को प्रोत्‍साहन एवं गतिशील अवसंरचना का निर्माण आर्थिक एवं सामाजिक विकास के अहम कारक हैं। सरकार इस दिशा में कई विशिष्‍ट कदम उठा रही है। केन्‍द्रीय वित्‍त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री श्री अरुण जेटली ने आज संसद के पटल पर आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 प्रस्‍तुत करने के दौरान उक्‍त बाते कहीं। वस्‍तु एवं सेवा कर, दिवाला एवं दिवालियापन संहिता एवं व्‍यवसाय करने की सुगमता को बढ़ाने देने जैसे संरचनागत सुधारों के अतिरिक्‍त, सर्वेक्षण में रेखांकित किया गया है कि सरकार ने इस्‍पात, परिधान, चमड़ा एवं बिजली क्षेत्र से जुड़ी विशिष्‍ट चुनौतियों का समाधान करने के लिए इनमें से प्रत्‍येक क्षेत्र में क्षेत्र विशिष्‍ट सुधार आरंभ किए हैं। आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि पिछले तीन वर्षों के दौरान आरंभ किए गए विभिन्‍न सुधारों को मू‍डीज इंवेस्‍टर्स सर्विस जैसी अंतर्राष्‍ट्रीय रेटिंग द्वारा मान्‍यता दी गई है जबकि विश्‍व बैंक की 2018 की रिपोर्ट में व्‍यवसाय करने की सुगमता की रैकिंग में बढ़ोतरी की गई है।

आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 में यह भी कहा गया है कि औद्योगिक उत्‍पादन सूचकांक (आईआईपी), जो कि 2011-12 के आधार वर्ष के साथ एक वॉल्‍यूम सूचकांक है, में 2017-18 में अप्रैल-नवंबर के दौरान औद्योगिक उत्‍पादन में 3.2 प्रतिशत की वृद्धि प्रदर्शित की गई है। आईआईपी ने 10.2 प्रतिशत की विनिर्माण वृद्धि के साथ 8.4 प्रतिशत की 25 महीने की उच्‍च वृद्धि दर दर्ज की। आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 में यह भी कहा गया है कि कोयला, कच्‍चा तेल, प्राकृतिक गैस, पेट्रोलियम, रिफाइनरी उत्‍पाद, उर्वरक, इस्‍पात, सीमेंट एवं बिजली जैसे आठ प्रमुख अवसंरचना समर्थक उद्योगों में 2017-18 के अप्रैल नवंबर के दौरान 3.9 प्रतिशत की संचयी वृद्धि दर्ज की गई। इस अवधि के दौरान कोयला, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्‍पाद, स्‍टील, सीमेंट एवं बिजली की उत्‍पादन वृद्धि सकारात्‍मक रही। इस्‍पात उत्‍पादन में उल्‍लेखनीय वृद्धि हुई जबकि कच्‍चे तेल एवं उर्वरक उत्‍पादन में इस अवधि के दौरान मामूली गिरावट दर्ज की गई।

आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 में यह भी कहा गया है कि उद्योग को सामान्‍य शेष ऋण वृद्धि नवंबर 2017 में पहली बार सकारात्‍मक होकर 1 प्रतिशत रही जो कि अक्‍टूबर 2016 से नकारात्‍मक वृद्धि दर्ज कर रही थी। ऋण मंदी के बाद भारतीय कंपनियों द्वारा निधियों की मांग की पूर्ति कुछ हद तक कॉरपोरेट बांडों एवं कॉमर्शियल पेपर जैसे वैकल्पिक स्रोतों द्वारा की गई है। बजट पूर्व आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 में यह भी कहा गया है कि कुल विदेशी प्रत्‍यक्ष निवेश आवक में 8 प्रतिशत की वृद्धि हुई अर्थात यह पिछले वर्ष के 55.56 बिलियन डॉलर की तुलना में 2016-17 के दौरान 60.08 बिलियन डॉलर हो गया। 2017-18 (अप्रैल-सितंबर) में कुल एफडीआई की आवक 33.75 बिलियन डॉलर की रही।

व्‍यवसाय करने की सरलता पर, आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 में रेखांकित किया गया है कि विश्‍व बैंक की व्‍यवसाय करने की सरलता रिपोर्ट 2018 में भारत ने पहले की अपनी 130वीं रैकिंग के मुकाबले 30 स्‍थानों की ऊंची छलांग लगाई है। क्रेडिट रेटिंग कंपनी मूडीज इंवेस्‍टर्स सर्विस ने भी भारत की रैकिंग को बीएए3 के न्‍यूनतम निवेश ग्रेड से बढ़ाकर बीएए2 कर दिया है। यह सरकार द्वारा यह वस्‍तु एवं सेवा कर, दिवाला एवं दिवालियापन संहिता एवं बैंक पुन: पूंजीकरण के क्रियान्‍वयन समेत सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्‍न कदमों से संभव हो पाया है। औद्योगिक वृद्धि को बढ़ाने के कई कदमों में मेक इन इंडिया कार्यक्रम, स्‍टार्टअप इंडिया एवं बौद्धिक संपदा नीति शामिल है।

LEAVE A REPLY