labour law

जयपुर. अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ विगत छः माह से राजस्थान सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों एवं संवादहीनता के खिलाफ आंदोलन कर रहा है। महासंघ के प्रतिनिधि मण्डल ने आज राज्यपाल  से मुलाकात कर 15 सूत्रीय मांग-पत्र सौंपा एवं सरकार तथा महासंघ के बीच हस्तक्षेप करने की मांग की गयी। महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष आयुदान सिंह कविया ने बताया कि राजस्थान सरकार कर्मचारियों की मांगो के प्रति संवेदनहीन बनी हुयी है तथा मिथ्या वार्ताओं का ढोंग कर कर्मचारियों को गुमराह करने का असफल प्रयास कर रही है जबकि कर्मचारी आंदोलन सम्पूर्ण प्रदेश में फैलता जा रहा है एवं कर्मचारियों में सरकार के प्रति आक्रोश बढता जा रहा है। महासंघ के प्रतिनिधि मण्डल ने महामहिम से कहा कि राज्य कर्मचारी सरकार के अभिन्न अंग है एवं सरकार की कल्याणकारी नीतियों की सफल क्रियान्विति हेतु वचनबद्ध है परन्तु सरकार का नजरिया नकारात्मक है। केन्द्र सरकार ने अपने कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू कर लाभान्वित किया है एवं अधिकांश राज्यों में इसका अनुसरण किया गया है। प्रदेश सरकार निरंकुश व हठधर्मिता पर उतर आयी है, जिसके चलते सातवें वेतन आयोग सहित 15 सूत्रीय मांग-पत्र में वर्णित मांगे लम्बित चल रही है। महासंघ के प्रदेश महामंत्री तेजसिंह राठौड ने बताया कि महासंघ ने आंदोलन के अग्रिम चरणों की घोषणा कर दी है। जिसके अन्तर्गत 7 अप्रेल 2017 को राजधानी जयपुर में विशाल प्रांतव्यापी रैली आयोजित की जावेगी जिसमें लाखों कर्मचारी एकत्र होकर विधानसभा का घेराव करेंगे। महामंत्री ने कहा कि महासंघ को आंदोलन के लिए एवं कर्मचारियों को सडकों पर उतारने के लिए सरकार मजबूर कर रही है जिसकी परिणिती अच्छी नही होगी। कर्मचारी आंदोलन के दौरान प्रदेश के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पडेगा एवं आम जनता को असुविधा होगी जिसकी समस्त जवाबदेही सरकार की होगी। प्रतिनिधि मण्डल में गिरिश कुमार शर्मा, महावीर प्रसाद सिहाग, अर्जुन शर्मा, धमेन्द्र फोगाट, शमीम कुरैशी, प्यारेलाल चैधरी, महेन्द्र कुमार तिवारी, श्याम सुन्दर गर्ग, उदयसिंह, जयपुर जिलाध्यक्ष चन्द्रशेखर गुर्जर, जिलामंत्री रतन कुमार प्रजापति, मोहन मीणा आदि कर्मचारी नेता शामिल रहे।

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