पटना। कांग्रेस के लिए एक ओर बुरी खबर हो सकती है। बिहार में सत्ता से बाहर होने के बाद वहां की कांग्रेस में टूट का खतरा बढ़ गया है। सीएम नीतीश कुमार के भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने के बाद कांग्रेस विधायक खासे परेशान है। बिहार में कांग्रेस के 28 विधायक हैं, जो महागठबंधन मोर्चा के दौरान जीतकर आए। राजद से अनबन के चलते नीतीश कुमार ने भाजपा से हाथ मिला लिया तो कांग्रेस अलग थलग पड़ गई। जब से कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई है तब से जदयू और भाजपा के आला नेता कांग्रेस विधायकों व नेताओं पर डोरे डालने लगे हैं। वे उन्हें पार्टी में शामिल करने के लिए समझाइश में लगे हैं। उन्हें पद और मंत्री पद देने का लालच दिया जा रहा है।
पार्टी के प्रभारी और वरिष्ठ नेता भी इस बारे में जानते हैं, लेकिन अंदरखाने चल रही इस उठक-पटक को रोकने के लिए कोई प्रयास नहीं हो रहे हैं। इससे भी कांग्रेस विधायक चिंतित है। वे भाजपा और जदयू में शामिल होने की सोचने लगे हैं। ऐसी सूचनाएं मिलने पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कांग्रेस विधायक को एकजुट रखने और पार्टी में टूट नहीं होने के लिए चेताया है। इस निर्देश के बाद जरुर वरिष्ठ नेताओं की हलचल हुई है, लेकिन जिस तरह भाजपा-जदयू काम रही है उससे लगता है कि बिहार कांग्रेस में भी टूट होना तय है। क्योंकि एक तो महागठबंधन टूटने के बाद उन्हें सत्ता में वापसी दिख नहीं रही है। लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते लगता नहीं है कि लालू परिवार अब सत्ता में आ पाएगा। कांग्रेस के लालू परिवार के साथ जाने से पार्टी की साख को नुकसान हो सकता है। इसलिए कांग्रेस विधायक लालू की राजद के साथ जाने के बजाय अपना भविष्य तलाशने में लग गए हैं।