Central motor vehicle act
कम्पाउण्डिंग अपराधों पर जुर्माना राशि में संशोधन के साथ जल्द होगा नोटिफिकेशन जारी
जयपुर। परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा है कि  केन्द्र सरकार द्वारा संशोधित केन्द्रीय मोटर वाहन अधिनियम बहुत जल्दबाजी में, बिना तैयारी, बिना समझाइश और राज्य सरकारों को विश्वास में लिए बिना लागू किया गया है। होना यह चाहिए था कि इसे पहले प्रयोग के रूप में कम से कम तीन माह के लिए पायलट रूप में लागू किया जाता और राज्यों के साथ खुले मन से बात की जाती। जिस स्वरूप में यह कानून आज लागू किया गया है उसमें देश-प्रदेश की 80 प्रतिशत जनता का ध्यान नहीं रखा गया।
खाचरियावास शासन सचिवालय यह जानकारी देते हुए बताया कि विभिन्न पक्षों से बातचीत कर राज्य की शक्तियों के अधीन जनहित में कम्पाउण्डिंग राशि में वांछित परिवर्तनो के साथ नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। कुछ परिवहन अपराध ऎसे हैं जिनमें राज्य सरकार को कम्पाउण्डिंग फीस में राहत देने की शक्ति है।
उन्होंने कहा कि नया संशोधित कानून लागू करते समय यह भी नहीं देखा गया कि आम  आदमी के पास इस भारी-भरकम जुर्माने को चुकाने लायक पैसे है भी या नहीं, कही कहीं तो यह उसकी महीने भर की कमाई से भी ज्यादा है। इससे डर या दशहत में जांच एजेंसियोें से बचने के प्रयास में दुर्घटना होने की आश्ांका रहेगी। इसी तरह बिना केटेगरी बनाए मोटर साइकिल से लग्जरी कार चालक तक एक ही तरह का जुर्माना निर्धारित कर दिया गया है।
खाचरियावास ने कहा कि सड़क दुर्घटनाएं और उसमें होने वाली मौतों की संख्या में कमी लाना राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। राज्य सरकार  मोटर वाहन अधिनियम के कुछ प्रावधान जैसे नशे में वाहन चलाने, खतरनाक तरीके से ओवर स्पीडिंग जैसी दुर्घटनाओं का प्रत्यक्ष कारण बनने वाले परिवहन अपराधों पर सख्ती की पक्षधर है। लेकिन व्यावहारिक स्थितियों के कारण एक गरीब वाहन चालक को परेशान नहीं किया जाना चाहिए। एक ई-रिक्शा वाला 30 हजार का बीमा नहीं करा सकता और 20 हजार की गाड़ी वाले से 25 हजार का जुर्माना व्यावहारिक नहीं है। परिवहन मंत्री ने कहा कि आज भी राज्य में  परिवहन अपराधों पर लाइसेंस रद्द किए जा रहे हैं, परिवहन नियम तोडने का किसी को अधिकार नहीं।
परिवहन मंत्री ने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कुछ सकारात्मक प्रयास किए जाने चाहिए थे। उदाहरण के लिए अगर बिना हेलमेट पाए जाने पर दुपहिया चालक पर 1000 रुपये का चालान बनाये जाने का प्रावधान किया गया है तो पूर्व निर्धारित 100 रुपये के चालान को 200 रुपये कर शेष राशि से गुणवत्तायुक्त हैलमेट प्रदान किए जाने जैसे सकारात्मक उपाय किए जा सकते थे।
टोल कम्पनियों को खुली छूट, दुर्घटनाओं पर नियंत्रण के प्रयास नहीं
खाचरियावास ने कहा कि प्रदेश में नेशनल हाईवे सड़क दुर्घटनाओं का बड़ा कारण है और केन्द्र सरकार का टोल वसूल करने वाली कम्पनियोंं पर कोई नियंत्रण नहीं हैं। इन पर दुर्घटनाएं होने पर राज्य सरकार की एजेेंसियां ही मोर्चा संभालती हैं। टोल कम्पनियां संविदा में तय शर्तों की पालन नहीं करतीं। कई एनएच पर अवैध कट खुले हैं, बेरिकेडिंग नहीं है, एम्बुलेंस, के्रन जैसी आधारभूत सुविधाएं भी नहीं हैं। उन्होंने दिल्ली रोड का उदाहरण देते हुए कहा कि पिछले चार-पांच साल मेें एनएच रखरखाव एवं टोल कम्पनियों की लापरवाही और अधूरे निर्माण के कारण हुई सड़क दुर्घटनाओंं में हजारों मौतें हो चुकी है, उनकी भी जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए। सड़क सुरक्षा प्रावधानो के लिए टोल कम्पनियों को पाबंद किए जाने के लिए केन्द्र सरकार को पत्र लिखा जाएगा

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