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To achieve the dream of smart grids in India, 50 million smart meters

delhi. नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने ग्रिड से संयोजित सौर ऊर्जा आधारित बिजली कारखानों से बिजली खरीदने के लिये  दर-आधारित प्रतिस्पर्धात्मक नीलामी प्रक्रिया के नये दिशा-निर्देश जारी किये हैं।  सरकार ने इन्हें 3 अगस्त 2017 को अधिसूचित किया है। (लिंक:- http://mnre.gov.in/file-manager/UserFiles/Guidelines_for_Tariff_Based_Competitive_Bidding_Process.pdf )

ये दिशा-निर्देश विद्युत कानून, 2003 के अनुच्छेद 63 के अन्तर्गत प्रतिस्पर्धा आधारित नीलामी प्रक्रिया के जरिये बिजली की दीर्घकालीन खरीद के लिये क्रेताओं [वितरण अनुज्ञप्ति धारक  अथवा उसके अधिकृत प्रतिनिधियों अथवा मध्यस्थ क्रेता] से ऐसे ग्रिड से संयोजित सौर ऊर्जा बिजलीघरों (प्रोजेक्ट्स) जिनकी क्षमता 5 मेगावाट या अधिक हो।

इन दिशा-निर्देशों के अनुसार महत्वपूर्ण सुधार निम्नलिखित हैं:

– खरीद के जोखिमों को कम करने के लिये उत्पादन के दौरान आने वाली अड़चनों के लिये उत्पादन क्षतिपूर्ति: सौर बिजली घरों के ‘अनिवार्य रूप से काम करने’ की स्थिति पर जोर दिया गया है। उत्पादन क्षतिपूर्ति का प्रावधान खरीद में आने वाली निम्नलिखित अड़चनों के लिये किया गया है।:

– बैक-डॉउन – पीपीए टैरिफ का न्यूनतम 50%

– ग्रिड की अनुपलब्धता – अतिरिक्त उत्पादन की खरीद के जरिये क्षतिपूर्ति/त्वरित क्षतिपूर्ति

-पीपीए: दर कम रखने को सुनिश्चित करने के लिये बिजली खरीद समझौते की न्यूनतम अवधि 25 वर्ष रखी गयी है। बिजली खरीद समझौते को एक तरफा समाप्त करने या बदलने की अनुमति नहीं है।

– परियोजना को तैयार करने और बिजली घरों की स्थापना को सुविधाजनक बनाने के लिये: भूमि से जुड़े मुद्दों, यातायात की सुगमता, मंजूरियों और देरी होने की दिशा में अतिरिक्त समय दिये जाने की व्यवस्था को सुव्यवस्थित किया गया है।

– असफल रहने पर उसके परिणामों की सुस्पष्ट व्याख्या की गयी है ताकि जोखिम को उत्पादनकर्ता और क्रेता के बीच समुचित रूप से बांटा जा सके। इसके लिये उत्पादन एवं क्रय से संबंधित असफलताओं एवं उसके परिणामों को सुस्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है।

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