-बाल मुकुन्द ओझा
विश्व प्राथमिक चिकित्सा दिवस हर साल 11 सितम्बर को मनाया जाता है। प्राथमिक चिकित्सा वह उपचार है जो किसी दुर्घटना या आकस्मिक बीमारी के कारण पीड़ित व्यक्ति को अस्पताल पहुँचने से पूर्व दी जाये ताकि प्रभावित व्यक्ति को कुछ समय के लिए अच्छा सुकून मिल सके। वह घबराये नहीं और इस अचानक आई आपदा का धैर्य और साहस के साथ मुकाबला कर सके। प्राथमिक चिकित्सा का उद्देश्य जीवन बचाने के साथ साथ आगे की चोट को रोकने एवं संक्रमण के लिए जीवन शक्ति और प्रतिरोध की रक्षा है। किसी व्यक्ति के आकस्मिक चोट लगने अथवा रोग होने की दिशा में किसी अप्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा तुरंत सीमित उपचार किया जाता है उसे प्राथमिक चिकित्सा कहते हैं। इसका उद्देश्य कम से कम साधनों में इतनी व्यवस्था करना होता है कि चोटग्रस्त व्यक्ति को सही इलाज कराने की स्थिति में लाने में लगने वाले समय में कम से कम नुकसान हो। अतः प्राथमिक चिकित्सा प्रशिक्षित या अप्रशिक्षित व्यक्तिओं द्वारा कम से कम साधनों में किया गया सरल उपचार है। कभी-कभी यह जीवन रक्षक भी सिद्ध होता है। आकस्मिक दुर्घटना या बीमारी के अवसर पर, चिकित्सक के आने तक या रोगी को सुरक्षित स्थान पर ले जाने तक, उसके जीवन को बचाने, रोगनिवृत्ति में सहायक होने, या घाव की दशा और अधिक बढ़ने से रोकने में उपयुक्त सहायता कर सकें। दुनिया में हर वर्ष करीब ंडेढ़ लाख लोग सड़क दुर्घटनाओं में समय पर प्राथमिक उपचार न मिल पाने की वजह से अकाल मौत के शिकार हो जाते हैं। इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेडक्रास क्रिसेंट सोसायटीज ने 2000 में इसकी शुरुआत की। दुर्घटना के दौरान दी जाने वाली प्राथमिक चिकित्सा किसी भी व्यक्ति को जीवनदान प्रदान कर सकती है। यह प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है कि ऐसे समय विपदाग्रस्त व्यक्ति की मदद करें। जब तक उसे चिकित्सा सहायता मिले तब तक उसकी देखभाल करें और तत्काल दी जाने वाली प्राथमिक सहायता उपलब्ध कराये। मानवता की सेवा में यह एक बहुत बड़ा सहयोग और कदम है और ऐसी
स्थिति का सामना किसी को भी करना पड़ सकता है। जब कोई व्यक्ति घायल या अचानक बीमार पड़ जाता है, तो चिकित्सकीय मदद से पहले का समय बेहद महत्वपूर्ण होता है। यही वह समय होता है जब पीड़ित पर पूरा ध्यान दिया जाना चाहिये। प्राथमिक उपचार की कुछ आवश्यक जानकारी प्रत्येक व्यक्ति को होनी चाहिए ताकि वह समय पर रोगी की देखभाल कर उसका जीवन बचा सके। यह सुनिश्चित करें कि आपके घर में प्राथमिक उपचार की व्यवस्था है। इसमें कुछ
प्रमुख दवाइयां भी हों जिन तक आसानी से पहुंचा जा सकता हो।
किसी पीड़ित की मदद से पहले खुद को सुरक्षित बना लें। रोग की स्थिति का का अनुमान करें और संभावित खतरों का आकलन कर लें। जब आप किसी मरीज की प्राथमिक चिकित्सा कर रहे हों तो किसी दूसरे व्यक्ति को चिकित्सकीय मदद के लिए भेजें। जो व्यक्ति चिकित्सक के पास जाये, उसे आपात स्थिति की पूरी जानकारी हो और वह चिकित्सक से यह सवाल जरूर करे कि एंबुलेंस पहुंचने तक क्या किया जा सकता है। शांत रहें और मरीज को मनोवैज्ञानिक समर्थन दें । किसी बेहोश या अर्द्ध बेहोश मरीज को तरल न पिलायें। तरल पदार्थ उसकी श्वास नली में प्रवेश कर सकता है और उसका दम घुट सकता है। किसी बेहोश व्यक्ति को चपत लगा कर या हिला कर होश में लाने की कोशिश न करें। मरीज के पास कोई आपातकालीन चिकित्सकीय पहचान-पत्र की तलाश करें ताकि यह पता चल सके कि मरीज को किसी दवा से एलर्जी है या नहीं अथवा वह किसी गंभीर बीमारी से तो ग्रस्त नहीं है।

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