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जयपुर। गुलाल, गैंग्स ऑफ वसेपुर जैसे नामी फिल्में बनाने वाले फिल्म निर्देशक अनुराग कश्यप के जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में बयान से विवाद खड़ा हो सकता है। अनुराग कश्यप ने पद्मावती फिल्म का नाम लिए बिना कहा कि क्या एक फिल्म हमें खत्म कर सकती है। फिल्मों में हम वो ही डालते हैं, जो समाज में घटित हो रहा है। लेकिन इसे फिल्मों में देखने से समाज बचता है। अनुराग कश्यप शुक्रवार को जेएलएफ में खुद की फिल्मों और जिंदगी के बारे में बता रहे थे। दी। गुलाल फिल्म पर चर्चा करते हुए कश्यप ने कहा कि इसे बनाने में सात साल लगे।

कई राजपूत राज घरानों के सदस्यों से मुलाकात की तो पता चला कि राजपूत राज घराने इस बात से दुखी थे कि उनकी सरकार ने प्रिवीपर्स छीन ली। सुविधाएं और अधिकार खत्म कर दिए। राजपाट ले लिया। इससे उनमें काफी गुस्सा था। तब यह पता चला कि वे समय के साथ काफी पीछे चले गए हैं। वे तरक्की करना तो चाहते ते, लेकिन अपने आलस्य के कारण कुछ कर नहीं पाए। कश्यप ने कहा कि वे भी यूपी के राजपूत परिवार से ताल्लुक रखते हैं। इमरजेंसी के दौरान पिता ने नाम के आगे से सिंह हटा दिया। कश्यप ने कहा कि इमरजेंसी के दौरान राजपूत समाज के प्रति कुछ अलग सा सेंटीमेंट चल रहा था। सेंसर बोर्ड से फिल्मकारों का विवाद चलता रहता था, लेकिन आप पूरे तथ्यों व दस्तावेज से अपनी बात रख देते हैं तो आपत्तियों का समाधान भी हो जाता है।

मेरी कुछ फिल्मोंं गुलाल, गैंग्स ऑफ वसेपुर, सत्या आदि में सेंसर बोर्ड ने आपत्तियां लगाई थी, लेकिन मेरी समझाइश और दस्तावेज पेश करने से दूर भी हो गई। उन्होंने कहा कि मुम्बई में वे हीरो बनने आए थे, लेकिन गंदी फिल्मों में काम करना पड़ा। बाद में फिल्म निर्देशन और लेखन में मन रम गया और कई फिल्में उन्होंने की।

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