-बाल मुकुन्द ओझा
2024 के लोकसभा चुनाव में हालाँकि अभी बीस महीने बाकी है मगर सभी सियासी दलों ने अभी से चुनावी कमर कसनी शुरू करदी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मुकाबला करने के लिए विभाजित विपक्ष के सभी नेता चक्रव्यूह रचने में लगे है। कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने भारत जोड़ो यात्रा शुरूं कर अपनी सियासी जमीन टटोलनी शुरू करदी है। कांग्रेस को उम्मीद है कि राहुल गांधी की यात्रा उन्हें जनता से और कांग्रेस कार्यकर्ताओं से सीधे जोड़ेगी। वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एनडीए का साथ छोड़ने के बाद अपनी दिल्ली यात्रा में विपक्षी नेताओं से मेल मुलाकातें शुरू कर मोदी को पछाड़ने की रणनीति बनाई है। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मोदी के खिलाफ हुंकार भरी है। दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल अपनी अलग डफली बजाकर मोदी को चुनौती दे रहे है। केजरीवाल गुजरात विधानसभा चुनाव में मोदी को परास्त करने के लिए गुजरात के दौरे में व्यस्त है। वे गुजरात में नित नई घोषणाएं कर मतदाताओं को लुभाने में लगे है। तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर भी मोदी से बेहद खपा है और मोदी विरोधी नेताओं से संपर्क में जुटे है। एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार भी चाहते है 2024 के लोकसभा चुनाव में सभी विपक्षी मिलकर लड़े और मोदी को परास्त करे। यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने घर पर यूपी और बिहार की एकजुटता का सन्देश दे रहे है। उन्होंने यूपी और बिहार गयी मोदी सरकार,पोस्टर लगाकर सपा का सन्देश दिया है।
इस बार मोदी-शाह के चुनावी तिलिस्म को तोड़ने के लिए नीतीश विपक्ष का मुखौटा बने है। नीतीश कई बार मोदी के साथ रहे और कई बार साथ छोड़ा है। उनकी खुद की साख दांव पर लगी है। इसके बावजूद विपक्षी पार्टियां नीतीश के साथ आने पर बेहद उत्साहित है। बहरहाल बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पाला बदलकर यूपीए खेमे में जाने के बाद वर्ष 2024 में होने वाले लोक सभा चुनावों के मद्ये नज़र देश में एक बार फिर विपक्ष की एकता के लिए जोरदार प्रयास किये जा रहे है। वर्तमान में विपक्ष कांग्रेस नीत यूपीए के साथ गैर कांग्रेस और गैर भाजपा की सियासत करने वाले दलों में विभाजित है। विपक्ष पहले से ही कई धड़ों में विभाजित है। गैर भाजपा और गैर कांग्रेस का नारा बुलंद करने वाले तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्र शेखर राव और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लाख प्रयासों के बाद भी अब तक कोई सशक्त मोर्चा बन नहीं पाया है। ममता बनर्जी और चंद्र शेखर राव 2024 में नरेंद्र मोदी सरकार को सत्ता बेदखल करने के लिए विपक्षी एकता की कवायद में जुटे हैं। ममता बनर्जी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए एंटी बीजेपी और एंटी कांग्रेस अलायंस बनाने का आह्वान किया है। सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव के सम्बन्ध भी कांग्रेस से अच्छे नहीं है। राजद के तेजस्वी यादव भाजपा के खिलाफ बनने वाले किसी भी मोर्चे का आंख मूंद कर साथ देने को तैयार है। उड़ीसा के सीएम पटनायक और आंध्र के सीएम फ़िलहाल किसी मोर्चे के साथ नहीं है। हालाँकि इन दोनों की भाजपा के साथ नरमी किसी से छिपी नहीं है।
दिल्ली के बाद पंजाब में सरकार बनाने वाली आम आदमी पार्टी भाजपा के सख्त खिलाफ है मगर कांग्रेस का साथ देने को तैयार नहीं है। वाम मोर्चे की हालत सांप छुछुंदर जैसी है। अन्य क्षेत्रीय दल भी आपस में बंटे हुए है। विपक्ष की ऐसी स्थिति भाजपा के लिए सुखद कही जा सकती है।
राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है वर्तमान में मोदी विरोधी एक मोर्चा बनने की संभावना कम है। इसका मुख्य कारण वे क्षेत्रीय पार्टियां है जिन्होंने अपने अपने राज्यों में कांग्रेस का वोटबैंक हथिया कर उसे सत्ताच्युत किया है। यूपी में अखिलेश यादव, तेलंगाना में मुख्यमंत्री केसीआर, आंध्र में मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी और बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टियां कांग्रेस से मेल मिलाप की इच्छुक नहीं है। जबकि बिहार में तेजस्वी यादव, महाराष्ट्र में शरद पवार और उद्धव ठाकरे, तमिलनाडु में मुख्यमंत्री स्टालिन की पार्टियां कांग्रेस से हाथ मिलाकर चल रही है। वामपंथी भी कांग्रेस के साथ है। इनमें कांग्रेस का वोट बैंक हथियाने वाली पार्टियां नहीं चाहती कि कांग्रेस उनके राज्यों में पैर पसारे वहीँ अन्य पार्टियां जिनके राज्यों में कांग्रेस प्रभावहीन है वे कांग्रेस को अपने साथ रखने के पक्षधर है। यही एकमात्र पेच है जो संयुक्त
विपक्ष को एक होने के मार्ग में अवरोध खड़ा कर रहा है। 2024 का लोकसभा चुनाव अभी दूर है। फ़िलहाल लाख चेष्टा के बाद भी मोदी विरोधी पार्टियां एक मंच पर आने की स्थिति में नहीं है। कांग्रेस के नेता राहुल गाँधी मोदी सरकार और संघ का मुकाबला करने के लिए समान विचारधारा वाले दलों को साथ आने की वकालत कर रहे है। वही रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कहा है तीसरे, चौथे मोर्चे का कोई चांस ही नहीं हैं। अगर कोई पार्टी भाजपा को हराना चाहती है तो उसे दूसरे मोर्चे के रूप में उभरना होगा। यही स्थिति मोदी के विजय का मार्ग प्रशस्त करेगी।

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