Heritage Water Wake -Nahargarh Fort-Aamer Mahal ....
Heritage Water Wake -Nahargarh Fort-Aamer Mahal ....

-नाहरगढ़ किले एवं आमेर महल में हैं अनूठे वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम्स,पर्यटकों के लिए आयोजित कि जा रही है हेरिटेज वाटर वाॅक

jaipur. यदि पर्यटकों का कोई समूह नाहरगढ़ किले एवं आमेर महल की अनूठी जल संरक्षण प्रणालियों के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहता है तो यहां हेरिटेज वाटर वाॅक की व्यवस्था उपलब्ध है। इसके लिए राजस्थान सरकार के पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग द्वारा ‘हेरिटेज वाटर वाॅक‘ के साथ मिलकर इसका आयोजन किया जा रहा है। राजस्थान सरकार के पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के निदेशक, हृदेष शर्मा ने आज यह जानकारी दी।

निदेशक ने बताया कि नाहरगढ़ किले एवं आमेर महल में आयोजित दो घंटे की यह वाॅक राजस्थान की संस्कृति में जल के महत्व एवं हमारे पूर्वजों के ज्ञान को दर्शाने के उद्देश्य से तैयार की गई है। नाहरगढ़ के भव्य किलों एवं आमेर महल में लुप्त कहानियों को जानने के साथ-साथ यह वाॅक जंगल में घूमने का आनंद और इन किलों की भव्यता देखने का अवसर भी प्रदान करती है। अतीत में उपलब्ध जल संरक्षण की जटिल तकनीक वाटर वाॅक के प्रतिभागियों को आश्चर्यचकित कर देती है। ये वाटर वाॅक वर्ष 2015 से आयोजित की जा रही है। रेन वाटर (रिसर्च, एडवोकेसी एंड इनोवेशन इन वाटर) के श्री नीरज दोषी द्वारा संचालित यह वाॅक पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग तथा जयपुर विकास प्राधिकरण के सहयोग से आयोजित की जाती हैं। इन वाॅक के आयोजन का समय नाहरगढ़ किले में प्रातः 6 बजे से सायं 5 बजे और आमेर महल में सर्दियों में प्रातः 8 बजे से सायं 5 बजे तथा ग्रीष्मकाल में प्रातः 10 बजे से सायं 5 बजे है।

-नहरगढ़ किले की वॉटर वॉक
नाहरगढ़ किले की जल संरक्षण प्रणालियों की कहानी अपनी आवष्यकताओं की पूर्ति के लिए कुछ नया करने की राजस्थानी समाज के प्रतिभा की कहानी भी है। सवाई जय सिंह (1698-1740) के शासनकाल के दौरान 1734 में निर्मित नाहरगढ़ की व्यापक जल संरक्षण प्रणाली इस किले की सबसे महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक है। जल सग्रह की यह प्रणाली नाहरगढ़ किले के आसपास के लगभग 6 किलोमीटर क्षेत्र में फैली है। यहां जल सग्रह के 6 क्षेत्र छोटी नहरों एवं नालियों के नेटवर्क के जरिए किले के अंदर एवं बाहर परस्पर जुड़े हुए हैं। छोटी नहरों के जरिए पहाड़ियों से वर्षा जल नीचे आता है। इन नहरों के तल पहाड़ियों के ढलान पर इस तरह से डिजाइन किये गये है कि वर्षा जल इनसे होता हुआ सरलता से नीचे आ जाता है। नाहरगढ़ में दो बड़ी बावड़ियां हैं और एक छोटी बावड़ी भी है, जिसे कुंड कहा जाता है। बड़ी बावड़ियों में आसपास की पहाड़ियों से पानी आता है, जबकि छोटे कुंड में मात्र किले के भीतर से वर्षा जल आता है।

-आमेर महल की वाटर वाॅक
आमेर किले की वाटर लिफ्टिंग और वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली नाहरगढ़ किले की जल संरक्षण संरचनाओं के समान ही अद्भुत है। यहां कि जल संचयन प्रणाली से पता चलता है कि 16वीं सदी के राजपूताना में परिष्कृत जल संरक्षण एवं वास्तुकला की बेहतरीन प्रणालियों के जरिए किस प्रकार से बड़ी संख्या में निवासियों के लिए जल की व्यवस्था की जाती थी। राजा मान सिंह प्रथम द्वारा वर्ष 1599 में आमेर महल का निर्माण कराया गया था। अगले 150 वर्षों में इस महल का विस्तार मिर्जा राजा जय सिंह और जय सिंह द्वितीय द्वारा किया गया। जय सिंह द्वितीय ने 1743 में नई राजधानी जयपुर शहर में जाने का फैसला लिया। आमेर महल की व्यापक जल प्रणाली इसकी अत्यंत महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक है। यहां पानी के दो स्त्रोत हैं – मावठा झील और महल में मौजूद वर्षा जल संचयन प्रणाली। यहां 6 संरचनाओं की श्रृंखला द्वारा मावठा झील के जल को जटिल प्रणाली के माध्यम से पहाडी पर स्थित किले तक भेजा जाता था जबकि नाहरगढ़ किले की जल संरक्षण प्रणाली में नालियों के व्यापक नेटवर्क के जरिए आसपास की पहाड़ियों से वर्षा जल एकत्रित किया जाता है। इसके विपरीत मावठा झील से कुछ सौ फीट ऊपर पानी पहुंचाने के लिए आमेर महल में अधिक जटिल व्यवस्था का उपयोग किया गया है।

 

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