जयपुर। राजस्थान की राजनीति में बहस की चुनौती को लेकर सियासत गरमाई हुई है। सत्तारुढ भाजपा और कांग्रेस के बड़े नेताओं में बहस की चुनौती देने का खेल खूब खेला जा रहा है। दोनों ही दलों के नेता एक-दूसरे को बहस की चुनौती देते फिर रहे हैं, लेकिन बहस कोई नहीं रहा है। कभी गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया तो कभी शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी और राजेन्द्र राठौड़ बहस के लिए दंभ भरते रहते हैं तो कांग्रेस के बड़े नेता भी उनकी चुनौती को स्वीकार करते हुए मैदान (बहस)में आने की कहते हैं। इसी तरह की बहसबाजी के बीच में अब पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी कूद गए हैं। गहलोत ने गृहमंत्री कटारिया के बहस संबंधी बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि यदि मुझसे बहस करनी है तो खुद सीएम वसुंधरा राजे सामने आएं। कटारिया के सामने तो कांग्रेस ने उनके कद की नेता को ही भेजा था। गहलोत ने यह बात शुक्रवार को जैसलमेर में मीडिया के सामने कही। गहलोत ने कहा कि कटारिया मुझे बहस के लिए आमंत्रित कर रहे हैं। वे तो कल कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को भी बहस के लिए कह सकते हैं तो क्या वे चले जाएंगे बहस करने। कटारिया की बहस की चुनौती को कांग्रेस ने स्वीकार करते हुए पार्टी ने कटारिया के सामने उनके कद की नेता को भेजा था। उनसे बहस करनी थी, लेकिन वे आए ही नहीं। मुझसे बहस करनी है तो खुद सीएम आएं सामने। गौरतलब है कि गृहमंत्री कटारिया कई बार सभाओं और मीडिया के समक्ष भाजपा राज में कानून व्यवस्था को कांग्रेस से बेहतर बताते हुए विपक्ष को बहस की चुनौती देते रहते हैं। इसी को लेकर हाल ही राजस्थान प्रदेश कांग्रेस की उपाध्यक्ष अर्चना शर्मा ने इसे स्वीकार करते हुए पिंकसिटी प्रेस क्लब में बहस के लिए पहुंच गई थी। लेकिन कटारिया वहां नहीं आए। इसके बाद भी भाजपा के कई नेताओं ने बहस को लेकर बयानबाजी की।
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