जयपुर। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में इनर इंजीनियरिंग ए योगा गाइड टू जॉय सैशन में आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव का भी संबोधन हुआ। गुरु जग्गी से आयोजक संजॉय राय ने बातचीत की। जग्गी वासुदेव ने बातचीत में दर्शकों को जीवन में खुशी और आनन्द के अनुभव साझा करते हुए कहा कि मैंने भारत को एक अलग तरीके से देखा है। मैं एक बार अपनी बाइक से भारत-भ्रमण के लिए निकला था। जहां में एक रात किसी के घर रुका और खाना खाया। सुबह उस घर के मालिक ने मुझे से बोला आप मेरी बेटी से शादी कर लो। ऐसे ही एक बार में एक घर में रुका। वहां खाना खाया, लेकिन उन्होंने मेरा नाम तक नहीं पूछा। वासुदेव ने कहा कि लड़कियां हाई हिल्स पहनकर भगवान के और करीब हो जाती है। हिल्स पहनकर वे आसमान के नजदीक चली जाती हैं। खुद को खुश रखना सबसे जरुरी है। खासकर इस भागते-दौड़ते युग में। जब लोगों के सिर पर क्रोध, नफ रत और असहनशीलता चढ़ रही है। खुशी कोई बाहर नहीं है, बल्कि आपके अंदर ही है। एक पेड़ की पत्ती को देखकर भी कई घंटें तक में खुश रह सकता हूं। संजोय रॉय ने गुरु जग्गी से पूछा कि जब वे स्कूल में थे, कैसे आध्यात्म से जुड़ गए। गुरु जग्गी ने कहा कि मुझे पता नहीं क्यों मेरी मां मुझे रोज टिफि न और पानी की बोतल के साथ साइकिल पर स्कूल भेज देती थी। तब मैं कई घंटों तक किसी पेड़ पर जाकर बैठ जाता था और जब छुट्टी के बाद बच्चे स्कूल से घर जाते तो उनके साथ ही घर चला आता था। आध्यात्म तो अपने भीतर गहराई में खोद कर ढूंढ निकालने की चीज है। यह प्यास बुझाने के लिए एक कुएं को खोदने जैसा है।

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