धौलपुर चुनाव में सीएम वसुंधरा राजे और पीसीसी चीफ सचिन पायलट की प्रतिष्ठा दांव पर..

-राकेश कुमार शर्मा 
जयपुर। राजस्थान के धौलपुर विधानसभा सीट के लिए रविवार को मतदान होगा। भाजपा ने हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा भुगत रहे बसपा विधायक बी.एल.कुशवाह की पत्नी शोभारानी को प्रत्याशी बनाया है तो कांग्रेस ने पूर्व विधायक व दिग्गज कांग्रेस नेता बनवारी लाल शर्मा पर दांव खेला। बनवारी लाल शर्मा पूर्व में वसुंधरा राजे को भी इस सीट पर पटखनी दे चुके हैं। भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशी के बीच सीधी टक्कर है, हालांकि कुछ निर्दलीय भी चुनावी मैदान में है लेकिन उनका खास वजूद नहीं दिख रहा है। कांग्रेस और भाजपा ने इस सीट को प्रतिष्ठा का सवाल बना रखा है। विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा-कांग्रेस प्रत्याशियों से ज्यादा सीएम वसुंधरा राजे और पीसीसी चीफ सचिन पायलट की प्रतिष्ठा ज्यादा लगी हुई है। अगले साल दिसम्बर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले धौलपुर सीट सियासी गलियारों में सेमीफाइनल मैच भी माना जा रहा है। जो भी इस मैच को जीतेगा, वो ही आगामी विधानसभा चुनाव में भी सिरमौर हो सकता है। इस वजह से दोनों ही दलों ने अपने सभी वरिष्ठ नेताओं व सक्रिय कार्यकर्ताओं को इस सीट पर झोंक रखा है। भाजपा सरकार के सभी केबिनेट मंत्री करीब दो सप्ताह से बारी-बारी से डेरा डाले हुए थे। सीएम वसुंधरा राजे भी करीब दस दिन से धौलपुर में ही है। बताया जाता है कि राजे की चुनावी प्रबंधन पर पूरी नजर है। किसी भी तरह से सीट जीतने के लिए भाजपा ने जातिगत समीकरण एडजस्ट करने के लिए मंत्रियों व नेताओं को क्षेत्र में एक्टिव कर रखा था। इसी तरह कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट भी कांग्रेस प्रत्याशी अशोक शर्मा के नामांकन के समय से ही धौलपुर में चुनावी प्रबंधन संभाले हुए हैं। गांव-ढाणी तक पायलट ने सभाएं की। सभी बड़े नेता पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, विश्वेन्द्र सिंह, डॉ. सीपी जोशी, भंवर जितेन्द्र सिंह आदि चुनाव प्रचार कर चुके हैं। दूसरे नेता व पदाधिकारी भी कई दिनों से गांव-ढाणी में कमान संभाले हुए थे।
– जो जीता वहीं बनेगा सिकंदर
सियासी क्षेत्रों में चर्चा है कि धौलपुर सीट को जीतना कांग्रेस-भाजपा के साथ सीएम वसुंधरा राजे व पीसीसी चीफ सचिन पायलट के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है, साथ ही उनके राजनीतिक भविष्य की तस्वीर साफ करेगा। जो भी दल यह सीट नहीं जीत पाया है, उसके नेता के लिए खतरे की घंटी है। विरोधी खेमा इस हार को भुनाने की कोशिश करेगा और उन्हें हटाने की मुहिम में तेजी लाएगा। वैसे राजे व पायलट का विरोधी खेमा लम्बे समय से इसी मुहिम में लगे हुए हैं। भाजपा में राजे का विरोधी खेमा उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने में लगा है। यूपी चुनाव में भाजपा की प्रचण्ड जीत के बाद से राजस्थान में जबरदस्त हवा है कि वसुंधरा राजे को हटाया जा रहा है। उनके स्थान पर यूपी की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले प्रदेश के एक राष्ट्रीय स्तर के नेता को मुख्यमंत्री पद दिए जानेें की चर्चा जोरों पर है। हालांकि इस तरह की चर्चा पहले भी कई बार उठ चुकी है, लेकिन हो कुछ नहीं पाया। विरोधी खेमे की नजर अब धौलपुर सीट पर है। धौलपुर सीट भाजपा अगर हार जाती है तो विरोधी खेमा ज्यादा एक्टिव होकर सीएम राजे को घेरेगा। पहले भी जो विधानसभा के जितने भी उप चुनाव हुए हैं, उनमें से एक छोड़कर शेष में भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा है। आलाकमान को मैनेज करने की कोशिश करेगा कि राजे के नेतृत्व में आगामी विधानसभा चुनाव जीत पाना संभव नहीं हो पाएगा। ऐसे में उन्हें हटाया जाए। विरोधी खेमे की इसी रणनीति को समझते हुए शायद वसुंधरा राजे भी कोई कसर नहीं छोड़ रखी है। धौलपुर सीट का चुनाव प्रबंधन अपने हाथों में ले रखा है। ऐसी कुछ हालात पीसीसी चीफ सचिन पायलट के हैं। धौलपुर सीट उनके आगामी राजनीतिक भविष्य को तय करेगी। अगर कांग्रेस प्रत्याशी जीतते हैं तो वे मजबूती से उभरेंगे और पार्टी आलाकमान आगामी विधानसभा के लिए उन्हें फ्री हैण्ड कर सकता है, साथ ही जो उनके पीसीसी चीफ से हटाए जाने की चर्चाएं होती रहती हैं, उन पर भी विराम लग सकता है। कांग्रेस धौलपुर सीट हारती है तो प्रत्याशी बनवारी शर्मा का राजनीतिक भविष्य खतरे में पड़ जाएगा, साथ ही पायलट का विरोधी खेमा भी उन्हें हटाने की मुहिम में लग जाएगा। ऐसे में दोनों ही दल और उनके नेता इस सीट को जीताना चाहते हैं। धौलपुर सीट राजस्थान के राजनीतिक भविष्य की तस्वीर भी साफ करेंगी।
-जो जितनी जातियां साधेगा, वो उतने ही बड़े अंतर से जीतेगा
धौलपुर सीट में एक लाख 92 हजार के आस-पास मतदाता है। सर्वाधिक 30 हजार कुशवाह मतदाता है। पच्चीस-पच्चीस हजार मतदाता ब्राह्मण और मुस्लिम बताए जाते हैं। करीब 20 हजार से अधिक मतदाता जाटव समाज के हैं। गुर्जर, माली, बघेल, वैश्य भी अच्छी खासी तादाद में है। कुशवाह व राजपूत वर्ग भाजपा के साथ है तो ब्राह्मण, मुस्लिम, गुर्जर समाज कांग्रेस के साथ ज्यादा दिखाई दे रहा है। बसपा का वोटबैंक रहा जाटव समाज बसपा प्रत्याशी नहीं होने के चलते उलझन में है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दल इन्हें लुभाने में लगे हैं। सचिन पायलट के चुनावी मैदान में सक्रिय होने से गुर्जर समाज कांग्रेस में आ सकते हैं। भाजपा प्रत्याशी शोभारानी के पति बीएल कुशवाह की अच्छी पैठ होने के चलते उसका लाभ भाजपा को मिलेगा। बुजुर्ग व खांटी नेता के तौर पर जाने वाले बनवारी शर्मा की भी धौलपुर में अच्छी पैठ है। लगातार दो चुनाव हारने से उनके प्रति सहानुभूति भी है।

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