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नई दिल्ली। केंद्र सरकार के बजट को लेकर देश के लोगों में काफी उत्सुकता है इसका कारण भी साफ है क्योंकि यह मोदी सरकार के सि कार्यकाल का आखिरी बजट है और इसे चुनावी बजट भी कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। और इस चुनावी बजट में सरकार हर तबके को अपनी और आकर्षिकत करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगी, साथ ही देश की जनता की नजरें भी इस बजट पर लगी हुई है उन्हें भी सरकार के इस बजट से काफी उम्मीदें हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बजट में किसानों, युवाओं और रोजगार पर ज्यादा ध्यान केन्द्रित किया जाएगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी गुरुवार को बजट को लेकर कई संकेत दिए है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौतियों से निपटने के लिए चुनावी साल की परंपरा से अलग हटकर कुछ कर सकती है। साथ ही, किसानों को लेकर भी घोषणाएं की जा सकती हैं।

जेटली ने कहा कि अर्थव्यवस्था के समक्ष कुछ चिंताओं का समाधान करना जरूरी है। उन्होंने कहा, परंपरा यही रही है कि चुनावी साल का बजट अंतरिम बजट होता है। देश के लिए क्या जरूरी है इससे तय होता है कि अंतरिम बजट में क्या होगा। किसानों के लिए हो सकती है घोषणा- वित्त मंत्री ने सुझाव देते हुए कहा कि कृषि क्षेत्र के समक्ष मुद्दों से पैदा हुई चुनौती के कारण सरकार परंपरा से हटकर कदम उठा सकती है। उन्होंने उच्च उत्पादन तथा महत्वपूर्ण कृषि उत्पादों की कीमतों में धीमी वृद्धि की ओर इशारा किया। यह क्षेत्र देश की आधी से अधिक आबादी से जुड़ी है, लेकिन जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी पांचवें हिस्से से भी कम है।
टैक्स स्लैब में होगा बदलाव-लोकसभा चुनाव को लेकर संभावना जताई जा रही है कि बजट में सरकार मध्यवर्ग के लिए टैक्स में कटौती और अन्य राहत दे सकती है। हालांकि वित्त मंत्री ने स्पष्ट कर दिया कि सरकार राजकोषीय मामले में बेहद सूझबूझ से कदम उठाएगी। उन्होंने कहा, मैं हमेशा इस बात को मानकर चलता हूं कि वित्तीय सूझबूझ हमेशा फायदेमंद होती है। अतीत में जब सरकारों ने इसका पालन नहीं किया है, उन्हें इसके नतीजे भुगतने पड़े हैं। लेकिन उन्हें यह भी स्प्ष्ट किया कि परिस्थितियां जब प्रतिकूल हों तो राजकोषीय मजबूती की राह से अलग कदम उठाने पड़ सकते हैं।

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