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मुंबई.भारत के उपराष्ट्रपति एम.वेंकैया नायडू ने कहा है कि संसद और विधानसभाओं के कामकाज को अवरुद्ध करना लोकतंत्र को नष्ट करने और लोगों के साथ विश्वासघात करने के समान है।
नायडू, जो राज्यसभा के सभापति हैं, ने महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग द्वारा मुंबई में आयोजित एक समारोह में ‘लोकतंत्र पुरस्कार’ प्रदान करने के बाद कहा कि पिछले दो वर्षों के दौरान वह राज्यसभा में कुछ धड़ों के व्यवहार से बहुत व्यथित हुए।

जब सदस्य सदन में नियमों और परंपराओं की अवहेलना करते हैं तो उपराष्ट्रपति को पीड़ा हुई। उन्होंने कहा कि राज्यसभा के सदस्यों पर उदाहरण प्रस्तुत करने की विशेष जिम्मेदारी होती है। यदि सांसद और विधायक नारेबाजी करते हैं और कार्यवाही को बाधित करते हैं, तो वे संसदीय लोकतंत्र का अपकार करते हैं।

नायडू ने एक महिला पीठासीन अधिकारी के बारे में लोकसभा के एक सदस्य द्वारा की गई आपत्तिजनक टिप्पणी पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि महिलाओं का अनादर करना हमारी संस्कृति में नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसा व्यवहार हमारे संसदीय लोकतंत्र का अपमान करेगा।यह बताते हुए कि सत्ताधारी और विपक्षी दलों को एक-दूसरे को शत्रु या विरोधी नहीं मानना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा कि लोगों के जनादेश का सम्मान करना और जनादेश के अनुसार सरकारों को कार्य करने देना विधायिकाओं का एक अनिवार्य सिद्धांत होना चाहिए।

यह देखते हुए कि संसद और विधानसभाओं के प्रभावी कामकाज को सुनिश्चित करने में सत्ताधारी और विपक्षी दोनों दलों की साझा जिम्मेदारी है, श्री नायडू ने उनसे आपसी सम्मान और समायोजन की भावना अपनाने का आग्रह किया।उपराष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि लोकतंत्र का अर्थ बहस, चर्चा और निर्णय है और इनकी जगह व्यवधान, विघ्न और कार्य में देरी “जो कि लोकतंत्र की भावना की उपेक्षा के अलावा कुछ नहीं है” नहीं ले सकती।

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