जयपुर। 24 जून को गैंगस्टर आनंदपाल सिंह के एनकाउंटर के 20 दिन बाद उसके शव का अंतिम संस्कार हो गया। फिर भी राजपूत समाज व उसके नेताओं में उबाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। आनंदपाल एनकाउंटर के बाद सांवराद में जारी धरने की बागडोर संभालने वाले भाजपा के राजपूत नेता व संघर्ष समिति से जुड़े दुर्ग सिंह खींवसर ने आरोप लगाया कि यह एक फर्जी एनकाउंटर था और सही मायने में राजनीतिक एनकाउंटर था।

एनकाउंटर के बाद उपजा आंदोलन सरकार की नीतियों के खिलाफ था। 12 जुलाई को सरकार का एक नया हथकंडा सामने आया और राजनीतिक साजिश रची। जिस समय का यह आंदोलन था, सांवराद में उसी समाज के आईपीएस, आरपीएस व अन्य अधिकारी लगा दिए। ताकि आंदोलन को दबाया जा सके। 12 जुलाई को आए समाज की लोगों की संख्या के मामले में एजेंसियों ने सरकार को रिपोर्ट दी तो समिति ने प्रदेश की शांति के मद्देनजर आनंदपाल की पुत्री के माध्यम से संदेश भेजा।

भाजपा नेता दुर्गसिंह ने आरोप लगाया कि इसमें भी चाल चली गई। समाज के डीजी (जेल) अजीत सिंह को भेजा और समिति से कहा गया कि सरकार सीबीआई जांच कराना चाहती है। उनकी साजिश थी कि समिति को कमरे में बंद कर उपद्रव मचवा कर राजपूत जाति को बदनाम कर दिया। उनकी इसी चाल से उपद्रव सामने आया। जिसकी जिम्मेदारी आंदोलनकारियों की नहीं, सरकार व पुलिस की है। बंदूक की नौंक पर जो अंतिम संस्कार हुआ, उसका इंसाफ आने वाले समय में प्रदेश की जनता लेगी।

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