जयपुर। पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस महासचिव अशोक गहलोत ने कहा है कि राज्य के चिकित्सा तंत्र की विफलता के कारण ‘मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना‘ का क्रियान्वयन अधरझूल में लटक रहा है। उन्होंने कहा कि एक तरफ ‘राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन‘ द्वारा राजकीय चिकित्सालयों एवं चिकित्सा केन्द्रों को स्वीकृत सूची के अनुसार दवाईयां उपलब्ध करवाने की बात कही जा रही है, जबकि दूसरी ओर चिकित्सालयों में आम मरीजों को ‘अनुपलब्ध‘ की मोहर लगाकर निजी दवा विक्रेताओं से मूल्य आधारित दवा लेने पर मजबूर किया जा रहा है। यदि दवाइयों की आपूर्ति सही मायने में पूरी की जा रही है तो चिकित्सालयों में दवाओं का अभाव क्यों है? इसकी जांच की जानी चाहिए ताकि आमजन को राहत मिल सके।
गहलोत ने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा 2 अक्टूबर, 2011 को लागू की गई ‘मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना‘ का उद्देश्य चिकित्सा-उपचार पर होने वाले व्यय से प्रदेशवासियों को राहत देना था। ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन‘ ने इस योजना की सराहना की थी और राज्य का यह अत्यन्त लोकप्रिय प्रयास अन्य राज्यों के लिए भी अनुकरणीय बन गया था। लेकिन वर्तमान में इस योजना के अन्तर्गत चिकित्सकों द्वारा पर्ची पर लिखी गयी दवाईयों में से आधी दवाईयों का भी नहीं मिलना अपने आप में दुर्भाग्यपूर्ण एवं प्रदेशवासियों के हितों पर कुठाराघात है। भाजपा ने सत्ता सम्भालते ही पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा लागू की गई लोक कल्याणकारी योजनाओं एवं कार्यक्रमों को कमजोर करना अथवा बंद करने का ही काम किया है। यही हश्र ‘मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना‘ के साथ किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा एक तरफ दवाईयां उपलब्ध ना होने पर चिकित्सालयों को अपने बजट पर दवाईयां खरीदकर उपलब्ध कराने के निर्देश दिये गये हैं, जबकि दूसरी ओर ‘राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन‘ द्वारा ड्रग वेयर हाउस को पूरी दवाईयां आपूर्ति करने का दावा किया जा रहा है, परन्तु मरीजों के लिए आवश्यक दवाईयों की आपूर्ति नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को इस संबंध में जिम्मेदारी तय कर आमजन को राहत प्रदान करनी चाहिए।