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नयी दिल्ली : समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आगामी लोकसभा चुनाव को ‘निर्णायक’ करार देते हुए आज कहा कि पार्टी का जनाधार बढ़ाना उनकी पहली प्राथमिकता है और वह अभी किसी भी दल के साथ गठबंधन के बारे में नहीं सोच रहे हैं। अखिलेश ने कहा, ‘‘वर्ष 2019 का चुनाव निर्णायक है, क्योंकि उत्तर प्रदेश के चुनाव नतीजों का संदेश पूरे देश में जाता है। इस समय हम किसी दल से गठबंधन करने के बारे में नहीं सोच रहे हैं, क्योंकि इससे (समझौते और सीटों के बंटवारे में) काफी वक्त खराब होता है, और मैं (सीटों को लेकर) किसी भ्रम में नहीं पड़ना चाहता।’’ मालूम हो कि सपा ने पिछले साल प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस से गठबंधन किया था।

सपा अध्यक्ष ने कहा, ‘‘इस समय मेरी प्राथमिकता सपा के वोट बैंक को मजबूत करने की है और मैं इसके लिये काम कर रहा हूं। अगर आप मजबूत होंगे तो आपकी दावेदारी ज्यादा मजबूत होती है।’’ पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका राजनीति करने का अंदाज अलग है और वह समान विचारधारा वाले दलों के साथ ‘दोस्ती’ को तैयार हैं, लेकिन इस वक्त उनकी प्राथमिकता दूसरी है। वर्ष 2019 के चुनाव में अभी समय है। इस वक्त हम हर सीट पर प्रत्याशियों का चयन करने में स्थानीय समीकरणों पर काम कर रहे हैं।

अखिलेश ने कहा कि वह सपा कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिये एक बार फिर ‘रथ यात्रा’ निकालेंगे। इसके लिये मार्गयोजना तैयार की जा रही है। जनता को सपा से उम्मीदें हैं, क्योंकि यही दल भाजपा को रोक सकता है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी अन्य राज्यों में भी लोकसभा चुनाव लड़ेगी, जहां सपा संगठन मजबूत है। मध्य प्रदेश, झारखंड और छत्तीसगढ़ में सपा का संगठन मजबूत है। इसके अलावा हम उत्तराखंड और राजस्थान में भी इस दिशा में काम कर रहे हैं। सपा को अब तक केवल उत्तर प्रदेश तक ही सीमित माना जाता है।

विकास के तमाम दावों के बावजूद पिछले साल प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में सपा की पराजय के कारणों के बारे में पूछे जाने पर अखिलेश ने कहा, ‘‘भाजपा जनता को बहकाने में कामयाब रही। इससे ना सिर्फ हमारा, बल्कि बहुजन समाज पार्टी का वोट भी भाजपा में चला गया। जनता अब भी मेरे शासनकाल को याद करती है और चुनाव में सपा को वोट ना देने की गलती को स्वीकार कर रही है।’’ सपा प्रमुख ने प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को हर मोर्चे पर नाकाम करार देते हुए कहा कि यह सरकार अपने करीब 10 महीने के कार्यकाल में अपनी एक भी योजना शुरू नहीं कर सकी। वह केवल पिछली सपा सरकार के कार्यों पर अपना ठप्पा लगाने में मशगूल है।

उन्होंने कहा कि योगी सरकार जनता को बेवकूफ बनाने के बजाय केन्द्र से बड़ा आर्थिक पैकेज मांगे। आखिर भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने उत्तर प्रदेश की 80 में से 73 लोकसभा सीटें जीती हैं। ऐसे में योगी सरकार के लिये यह माकूल मौका है कि वह इस सूबे के लिये बड़ा पैकेज मांगे। यह काम जल्दी किया जाए क्योंकि केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार अगले महीने ही अपना ‘आखिरी’ बजट पेश करने जा रही है। बजट पेश होने के बाद कुछ नहीं हो सकेगा।

पूर्व मुख्यमंत्री ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से मतदान की व्यवस्था खत्म करने की सपा की मांग के बारे में कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव को मतपत्रों के जरिये कराया जाना चाहिये। वोटिंग मशीनों को लेकर उत्पन्न सारी आशंकाएं दूर की जानी चाहिये। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बहुप्रचारित और अगले महीने लखनऊ में आयोजित होने वाली ‘यूपी इन्वेस्टर्स समिट’ के बारे में पूछे जाने पर अखिलेश ने कहा कि यह समिट सपा सरकार द्वारा बनवाए गए जे.पी. इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित होनी है। सरकार पहले वहां के लिये कुर्सियां तो मंगवा ले। क्या वह निवेशकों को टेंट हाउस से मंगायी गयी कुर्सियों पर बैठाएगी?

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