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सर्दियों में जयपुर में हो रही है हर साल होती है तीन से चार कान्फ्रेंस
जयपुर। टूरिस्ट सीजन शुरू होते ही गुलाबीनगरी में मेडिकल कान्फ्रेंस का दौर शुरू हो जाता है। फाइव स्टार होटलों में होने वाली ये कान्फ्रेंस आयोजकों के लिए आय का जरिया बन गई है। दवा कंपनियां, मेडिकल उपकरण बेचने वाली कंपनियां इन कान्फ्रेंस में लाखों रुपए खर्च करती है। जयपुर में अक्टूबर से ही टूरिस्ट सीजन शुरू हो जाता है। एसएमएस अस्पताल, नारायणा, फोर्टिंस, ईएचसीसी जैसे अस्पतालों में सेवारत डॉक्टर्स इन कॉन्फ्रेंसों से जुड़े होते हैं। डॉक्टर्स को नॉलेज देने के नाम पर इन कान्फ्रेंसों का आयोजन किया जाता है। इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में भारत, श्रीलंका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, आस्ट्रेलिया, श्रीलंका, चाइना, जापान से विशेषज्ञ डॉक्टर्स को बुलाया जाता है। इसके साथ ही मुंबई, दिल्ली, चैन्नई, चंडीगढ़, कोलकाता से एक्सपर्ट डॉक्टर्स आते हैं। तीन दिन तक चलने वाली इन कॉन्फ्रेंस का मुख्य उद्देश्य नए डाक्टर्स को एक ही जगह पर चिकित्सा विज्ञान में हो रहे नए नए आविष्कारों, खोज, रिसर्च की जानकारी देना होता है। कॉन्फ्रेंस में आने वाले इन डाक्टर्स को तीन दिन तक जयपुर के बढिया फाइव स्टार होटलों में ठहराया जाता है। उन्हें बढ़िया गिफ्ट दी जाती है और तीन दिन तक घुमाया फिराया जाता है। इसका लाभ लेने के लिए कई डॉक्टर्स तो अपने परिवार के साथ आ जाते हैं।

दिन में खाली सभागार रात गाला डिनर के नाम पर मौजमस्ती
इन कॉन्फ्रेंस में एक ही दिन में तीन सत्र होते हैं। ऐसे में डॉक्टर्स अपने अपने विषयों के बारे में नई रिसर्च, चिकित्सा विज्ञान में हो रहे नए नए परिवर्तन, शोध पत्रों के माध्यम से जानकारियां देते हैं। सवेरे 9 बजे सत्रों की शुरूआत हो जाती है जो शाम 3 से 4 बजे तक चलती है। ब्रेकफास्ट और लंच होटल में ही रहता है। रात को गाला डिनर के नाम पर होटलों में गीत संगीत की महफिल जमती है जिसमें जमकर ड्रिक्स परोसी जाती है। दिन में खाली रहने वाला सभागार रात के गाला डिनर में पूरी तरह भर जाता है।

ऐसे होती है आयोजकों की कमाई
किसी भी नेशनल या इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में आने वाले डॉक्टर्स से रजिस्ट्रेशन चार्ज लिया जाता है जो कम से कम 5 हजार रहता है। इसके लिए डॉक्टर्स से पहले ही निमंत्रण पत्र भेज दिया जाता है। इन कान्फ्रेंस में तीन दिन में एक हजार से तीन हजार डॉक्टर्स भाग लेते हैं। इसके अलावा फार्मा कंपनियां, मेडिकल उपकरण बनाने वाली कंपनियां, निजी हॉस्पिटल इस कॉन्फ्रेंस का खर्चा उठाते हैं। बदले में ये कंपनियां मरीजों से दवाई और उपकरणों की भारी भरकम राशि वसूलती है। ऐसे में आयोजक 50 लाख से 1 करोड़ तक कमाई करते हैं। कान्फ्रेंस के प्रचार का जिम्मा भी आजकल पीआर कंपनियों और प्रोफेशनल लोगों को दिया जाता है जो मीडिया मैनेजमेंट से इस पूरे आयोजन का प्रचार का जिम्मा संभालते हैं।

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