जयपुर.राजस्थान में बजट सत्र 23 जनवरी से शुरू होगा। गहलोत सरकार का विधानसभा चुनाव से पहले यह लास्ट बजट होगा। राजस्थान के आर्थिक इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा बजट जल्द ही विधानसभा में पेश होने वाला है। यह बजट करीब 2 लाख 65 हजार 500 करोड़ रुपए का होगा। यह बजट दुनिया के 40 देशों के बजट से भी ज्यादा बड़ा बजट होने वाला है। सीएम गहलोत ने मार्च-2022 में जो बजट पेश किया था, उसमें कुल राजस्व 2 लाख 14 हजार 977 करोड़ 23 लाख रुपए का था। इस राशि की तुलना में सरकार ने खर्चा तय किया था दो लाख 38 हजार 465 करोड़ 79 लाख रुपए का। करीब 23 हजार करोड़ रुपए सरकार ने उधार लिए थे, तब जाकर खर्चों को संभाल पाए थे। अब बजट के लिए सरकार ने जो योजनाएं बनाई हैं, उनके लिए लगभग 2 लाख 65 हजार 500 करोड़ रुपए की जरूरत पड़ेगी। बड़ी बात यह है कि सरकार को पहले की तुलना में उधार लेकर घाटा पूरा करने की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ेगी। यह घाटा 23 हजार करोड़ रुपए से घटकर 17-18 हजार करोड़ रुपए तक हो सकता है। आर्थिक विशेषज्ञ प्रो. वी.वी. सिंह का कहना है कि किसी भी राज्य की अर्थव्यवस्था में आमदनी ज्यादा और खर्चे कम रखते हुए बजट बनाया जाए तो बेहतर रहता है। केवल राजनीतिक वाहवाही के लिए अनाप-शनाप योजनाएं बनाई जाती हैं, तो दो-तीन वर्षों में कमाई गई सारी विकास दर ठप होना तय ही है। बजट में इसका विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। इधर भाजपा की प्रदेश प्रवक्ता और विधायक अनिता भदेल का कहना है कि सीएम गहलोत केवल अपनी योजनाओं के प्रचार-प्रसार पर पैसा खर्च करते हैं। एक भी योजना वे केन्द्र की सहायता बिना नहीं बना रहे हैं। लगातार राजस्व घाटे का बजट पेश करते आए हैं। केन्द्रीय वित्त मंत्रालय ने पिछले सप्ताह सभी राज्यों को रिपोर्ट भेजी है। इस रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय प्रत्यक्ष करों में हिस्सेदारी के मामले में राजस्थान पूरे देश में पांचवें नम्बर पर है। ऐसा पहली बार हुआ है। देश में 2020-21 में 9 लाख 47 हजार 176 करोड़ रुपए प्रत्यक्ष कर में मिले हैं। अब 2021-22 में यह राशि बढ़कर 14 लाख 12 हजार करोड़ रुपए हो गई है। इसमें आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, गुजरात व महाराष्ट्र के बाद सबसे ज्यादा हिस्सेदारी राजस्थान को मिलेगी। यह करीब 6.02 प्रतिशत होगी।

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