जयपुर। राजस्थान की तीन सीटों अलवर, अजमेर और मांडलगढ़ सीट के चुनाव नतीजे गुरुवार को सामने आ जाएगे, साथ ही जनता ने किस दल पर भरोसा जताया, वो भी सामने आ जाएगा। तीनों सीटों के नतीजे भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के लिए बड़े अहम है, साथ ही दोनों दलों के नेतृत्व को लेकर महत्वपूर्ण है। कोई दल अगर हारा तो उसके नेतृत्व पर सवाल तो उठेंगे, साथ ही विरोधी गुट मजबूती से उभरेगा और नेतृत्व परिवर्तन की बात उठाएगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तीनों सीटें कांग्रेस जीती तो पीसीसी चीफ सचिन पायलट की बल्ले-बल्ले हो सकती है और वे बेहद मजबूती के साथ उभरेंगे। विरोधी गुट जो उन्हें हटाने में लगे हैं, उनकी मुहिम को जबरदस्त झटका लग सकता है। सट्टा बाजार भी कह रहा है और अंदरखाने खुफिया रिपोर्ट भी बता रही है कि तीनों सीटों पर कांग्रेस भाजपा से मजबूत है और तीनों सीटें जीत सकती है कांग्रेस।
अगर ऐसा हुआ तो दिसम्बर में होने वाले विधानसभा चुनाव भी पीसीसी चीफ सचिन पायलट के नेतृत्व में ही होगा। कांग्रेस का केन्द्रीय नेतृत्व उन्हें हटाने के बारे में सोचेगा नहीं और ना ही विरोधी गुट हटाने का दबाव बना पाएगा। अगर कांग्रेस अजमेर सीट गंवा देती है और दोनों सीटें अलवर व मांडलगढ़ जीत जाती है तो भले ही इससे कांग्रेस को फायदा हुआ हो, लेकिन विरोधी एक्टिव हो जाएंगे और सचिन पायलट को बदलने की मांग कर सकते हैं। क्योंकि अजमेर सचिन पायलट की सीट रही है। वे सांसद रह चुके हैं और केन्द्रीय मंत्री भी रहे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी रघु शर्मा का चुनाव कैम्पेन उनके नेतृत्व में ही हो रहा है। रघु शर्मा को जिताने के लिए कई सभाएं व रोड शो किए हैं। कांग्रेस सीट गंवाती है तो विरोधी हार का ठीकरा पायलट के सिर पर बांधेंगे और वे उन्हें हटाने की मुहिम में तेजी से लग सकते हैं। गौरतलब है कि गुजरात चुनाव के बाद वहां के प्रभारी व पूर्व सीएम अशोक गहलोत का कद कांग्रेस में काफी बढ़ा है। वे राजस्थान में काफी एक्टिव है। गाहे-बगाहे वे अप्रत्यक्ष तौर पर पीसीसी चीफ पायलट पर जुबानी हमले करने से नहीं चूकते हैं।
पूर्व पीसीसी चीफ सी.पी.जोशी, पूर्व केन्द्रीय मंत्री भंवर जितेन्द्र सिंह व हरीश चौधरी भी पीसीसी चीफ के तगड़े दावेदार हैं। वे भी इसके लिए जी जान से जुटे हुए हैं। ये सभी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नजदीकी है। हालांकि अशोक गहलोत इन सब पर भारी है। उनके सोनिया गांधी और कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के साथ मधुर संबंध है। गुजरात में कांग्रेस को एकजुट करने और विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद से गहलोत राहुल गांधी के काफी नजदीक आ गए हैं। खैर गुरुवार के चुनाव नतीजे राजस्थान कांग्रेस की तस्वीर साफ कर देंगे।

























