नयी दिल्ली। व्यापारियों के प्रमुख संगठन कनफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स :कैट: ने आज कहा कि क्रियान्वयन के लगभग चार महीने बाद भी माल एवं सेवा कर :जीएसटी: टुकड़ों में बंटा हुआ है। जीएसटी का वास्तविक स्वरूप छिन्न-भिन्न हो गया है जो टिकने योग्य नहीं है। कैट ने कहा कि न केवल जीएसटी की दरों, बल्कि इसके नियम एवं उनके क्रियान्वयन की पूर्ण समीक्षा किए जाने की जरूरत है। जीएसटी की कमजोरियों, लीकेज और खामियों को दूर किया जाना चाहिए। कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी.सी.भरतिया की अध्यक्षता में गठित संगठन के एक आतंरिक पैनल ने जीएसटी के सभी पहलुओं पर विचार करते हुए सुझाव दिया है कि अब समय आ गया है जबकि सरकार को जीएसटी की पूर्ण समीक्षा करते हुए इसे स्थायी कर प्रणाली के रूप में विकसित करने को आवश्यक कदम उठाने चाहिए। व्यापारियों के साथ सरकार का कोई सीधा संवाद न होने से स्थिति ज्यादा विकट हो गयी है और इस दृष्टि से केंद्र एवं राज्य स्तर पर व्यापारियों के साथ एक स्थायी फोरम गठित हो जहां लगातार संवाद जारी रहे।
कैट के महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने इस संदर्भ में सुझाव देते हुए कहा कि रिवर्स चार्ज को समाप्त किया जाए, ई वे बिल केवल अंतरराज्यीय व्यापार पर ही लागू हो, 100 करोड़ रुपये तक के कारोबार पर तिमाही रिटर्न एवं 100 करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार पर मासिक रिटर्न भरने की जरूरत हो।खंडेलवाल ने कहा कि इसके अलावा एचएसएन कोड केवल निर्माताओं पर ही लागू हो, अगर विक्रेता कर नहीं जमा कराता है तो उसकी जिम्मेदारी खरीदने वाले पर न हो, जीएसटी से संबंधित शिकायतों के समाधान के लिए एक निष्पक्ष जीएसटी लोकपाल गठित हो। उन्होंने मांग की कि जीएसटी परिषद में व्यापारियों का प्रतिनिधित्व हो, केंद्र एवं राज्य स्तर पर व्यापारियों सहित संयुक्त जीएसटी कमेटी गठित हो तथा 28 प्रतिशत कर स्लैब पर पुनर्विचार किया जाए।


























