पटना। बिहार की न्यायिक सेवाओं की भर्तियों में राज्य सरकार ने पचास फीसदी आरक्षण लागू होगा। बिहार राज्य की केबिनेट ने बिहार उच्च न्यायिक सेवा और बिहार असैनिक सेवा की नियुक्तियों में आरक्षण लागू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। अभी तक उच्च न्यायिक सेवा में आरक्षण का प्रावधान नहीं था। अब पचास फीसदी नौकरियों में एसटी,एससी, ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों को आरक्षण मिल सकेगा। सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव डी.एस.गंगवार और कैबिनेट विभाग के प्रधान सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा के मुताबिक, अनारक्षित और आरक्षित दोनों श्रेणियों में आरक्षण के भीतर आरक्षण महिलाओं को 35 प्रतिशत और अस्थिजनित निशक्त को 1 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा। सरकार ने मामला कैबिनेट में लाने से पहले हाईकोर्ट और बीपीएससी के पास भेजा था। इसे दोनों संस्थाओं ने सहमति दे दी है। अपर जिला न्यायाधीश और मुंसिफ मजिस्ट्रेट के 1075 पदों पर भर्ती में नई आरक्षण व्यवस्था लागू करने का रास्ता साफ हो गया है। न्यायिक सेवा नियुक्ति प्रक्रिया 1955 और 2005 की नियमावली से संचालित होती है। पिछड़े और अत्यंत पिछड़े वर्गोंं को न्यायिक सेवा में आरक्षण का देने के लिए राज्य सरकार ने 2008 में नियमावली में संशोधन किया था। लेकिन हाईकोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार दिया था। वजह थी कि सरकार ने कोर्ट से परामर्श नहीं लिया था। सरकार ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि न्यायिक सेवा में आरक्षण लागू करने से पहले बिहार सरकार हाईकोर्ट से परामर्श ले। इस आदेश के बाद बिहार सरकार ने हाईकोर्ट से परामर्श लेकर इसे मंजूरी दी।

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