नई दिल्ली। 500 और 1000 के नोट बैन होने के बाद अपनी अघोषित संपत्ति को अलग-अलग लोगों के जरिए अकाउंट्स में जमा करा रहे लोगों पर सरकार ने लगाम कसने के लिए नियमों में बदलाव किए हैं। ये लोग काला धन को सफेद करने के लिए बिना पैन नंबर दिए पैसों को अलग-अलग अकाउंट में जमा करा रहे हैं। अभी तक बिना पैन नंबर के कैश डिपॉजिट करवाने की लिमिट 50,000 रुपये प्रति ट्रांजैक्शन थी। इसी से बचने के लिए कुछ लोग इससे कुछ कम रकम बार-बार एक ही या अलग-अलग अकाउंट में जमा करा रहे थे। इसे देखते हुए सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी) की ओर से जारी सर्कुलर में कहा गया है कि 9 नवंबर से 30 दिसंबर के बीच किए जाने वाला कुल डिपॉजिट 2.5 लाख रुपये से अधिक होने पर पैन नंबर देना अब जरूरी होगा। इससे यह गलतफहमी दूर हो गई है कि कोई व्यक्ति 50,000 रुपये से कम रकम कई बार जमा करवाकर पैन नंबर देने से बच सकता है। अब अगर आपके पैन कार्ड पर कई अकाउंट लिंक है और उनमें जमा कुल रकम भी 2.5 लाख से ऊपर चली जाती है तो आपको पैन नंबर समेत रकम का ब्यौरा देना होगा। सीबीडीटी ने ऐनुअल इन्र्फमेशन रिटर्न रूल्स (एआईआर) में भी बदलाव किए हैं। अभी तक बैंक और पोस्ट ऑफिस को किसी व्यक्ति की ओर से एक वर्ष में 10 लाख रुपये से अधिक के कैश डिपॉजिट की जानकारी टैक्स डिपार्टमेंट को देनी होती है। अब यह सीमा 9 नवंबर से 30 दिसंबर के बीच 2.5 लाख रुपये की कर दी गई है। करंट अकाउंट के लिए 9 नवंबर से 30 दिसंबर के बीच कैश डिपॉजिट की लिमिट 12.5 लाख रुपये है। यह नियम एक व्यक्ति के सभी खातों पर लागू होगा। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि बैंक कैसे उस कैश की जानकारी हासिल करेंगे जिसे अन्य खातों में जमा करवाया गया है। टैक्स प्रफेशनल्स का कहना है कि यह नोटबंदी के बाद टैक्स चोरी रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

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