गोविंदगढ़. 30 साल की पूजा सिंह ने गांव के मंदिर में विराजमान भगवान ठाकुरजी से शादी कर ली। ये शादी 8 दिसंबर को हुई। शादी के बाद पूजा अपने घर पर ही रहती हैं और ठाकुरजी मंदिर में। पूजा उनके लिए सवेरे भोग बनाकर ले जाती हैं। उनके लिए पोशाक बनाती हैं और शाम को दर्शन के लिए जाती है। तीस साल की पूजा सिंह पॉलिटिकल साइंस से एमए हैं। पिता प्रेमसिंह बीएसएफ से रिटायर हैं और एमपी में सिक्योरिटी एजेंसी चलाते हैं। मां रतन कंवर गृहणी हैं। तीन छोटे भाई हैं अंशुमान सिंह, युवराज और शिवराज। तीनों कॉलेज और स्कूल की पढ़ाई कर रहे हैं। ठाकुरजी से विवाह का फैसला उनका खुद का था। शुरू में समाज, रिश्तेदार और परिवार के लोग इस पर सहमत नहीं हुए, लेकिन फिर मां ने जरुर बेटी की इच्छा का सम्मान कर सहमति दे दी थी। पिता ना पहले राजी थे और ना ही आज। इसीलिए शादी में भी नहीं आए। सारी रस्में मां ने ही पूरी की। शादी के बारे में पूछा तो बोलते-बोलते उनकी आंखे भर आई। बोली, पापा नहीं आए मुझे बहुत दुख है, लेकिन इस शादी से मैं बेहद खुश हूं, क्योंकि घर, परिवार समाज में जो कुछ मैंने देखा है उसके बाद मैं कभी शादी नहीं करना चाहती थी, लेकिन लोगों ने ताने मारने शुरू किए तो कुंवारी ना कहलाऊं इसलिए यह निर्णय लिया। पूजासिंह की शादी में उसकी सहेलियां और रिश्तेदार भी शामिल हुए। करीब तीन सौ लोगों के लिए भोजन बनाया गया। इसमें करीब तीन लाख रुपए खर्च हुए। शादी की रस्मों के दौरान हल्दी लगाने से लेकर मेहंदी तक की रस्में धूमधाम से हुईं। सहेलियों ने पूजा को सजाया संवारा। उसने सहेलियों के साथ डांस भी किया। घर में रोजाना मंगलगीत गाए गए। शादी में परंपरानुसार दुल्हा दूल्हन की मांग सिंदूर से भरता है, लेकिन इस शादी में यह परंपरा भी कुछ अलग तरीके से हुई। ठाकुरजी की ओर से खुद पूजासिंह ने अपनी मांग भरी। ठाकुरजी को सिंदूर से अधिक चंदन पसंद होता है, इसलिए पूजासिंह ने अपनी मांग भी सिंदूर की बजाय चंदन से भरी। पूजा सिंह और ठाकुरजी का यह विवाह सभी रीति रिवाजों से हुआ। बाकायदा गणेश पूजन से लेकर चाकभात, मेहंदी, महिला संगीत और फेरों की रस्में हुई। ठाकुरजी को दूल्हा बनाकर गांव के मंदिर से पूजा सिंह के घर लाया गया। मंत्रोच्चार हुआ और मंगल गीत गाए गए। पिता नहीं आए तो मां ने फेरों में बैठकर कन्यादान किया। इसके बाद विदाई हुई। परिवार की ओर से कन्यादान और जुहारी के 11000 रुपए दिए गए। ठाकुर जी को एक सिंहासन और पोशाक दी गई।

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