जयपुर। शहर में एक बिल्ड एस्टेट कंपनी के निदेशकों ने जनता से करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी की और फरार हो गए, लेकिन पुलिस उनको एक साल बाद भी गिरफ्तार नहीं कर पाई है। कंपनी के निदेशकों के खिलाफ जयपुर में कई थानों और अदालतों में मामले दर्ज हैं। पीडि़तों का आरोप है कि पुलिस मिलीभगत के चलते अभियुक्तों को गिरफ्तार नहीं कर रही है। इसको लेकर पीडि़त पक्ष ने पुलिस कमिश्नर संजय अग्रवाल को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में पीडि़तों ने फरार amod-agarwalअभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए एक स्पेशल टीम बनाने की मांग की। पीडि़त प्रदीप कुमार शर्मा, विवेक पटेल, खुर्शीद खान, रचनेश चावला, निर्मल दरगड़,  संजीव माथुर, एस.एन. जोशी, मनोहर, दौलत सिंघी, नेहा शर्मा, विनोद माहेश्वरी, किशोर कुमार सैनी,  महेन्द्र शर्मा, जयप्रकाश काबरा, सचिन बेजल, अनीश बवेजा, हर्षित गुप्ता, ए. के. पाण्डेय ने बताया कि जयपुर में बालाजीधाम बिल्ड एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड के नाम से कंपनी शुरू कर कर्ताधर्ताओं ने अपने बिल्ड एस्टेट प्रोजेक्ट्स में एक ही संपत्ति का एक से अधिक लोगों को बेचान का एग्रीमेंट किया, लोगों से निवेश के नाम पर व उधारी पर पैसा उठाया और फरार हो गए। इस संबंध में बगरू थाना, झोटवाड़ा थाना, सदर थाना, वैशाली नगर थाना, सोडाला थाना आदि में इनके खिलाफ केस दर्ज हैं और विभिन्न अदालतों में मामले दर्ज कराए गए हैं, लेकिन पुलिस कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं कर रही है। एक साल बाद भी फरार आरोपी गिरफ्त से दूर हैं। इस पूरे प्रकरण में एक ही परिवार शामिल है। इन्होंने अपने निवास 3 ए, बालाजीधाम, अचरोल हाउस, जैकब रोड, सिविल लाइंस, जयपुर में कंपनी का रजिस्टर्ड ऑफिस चलाया, जहां जनता को अपनी कंपनी के फ्लैट्स आदि खरीदने के लिए प्रेरित किया और एक से ज्यादा एग्रीमेंट कर मोटी रकम हड़प ली। कंपनी के निदेशकों में एक ही परिवार के सदस्य प्रमोद अग्रवाल (43) पुत्र रमेश चंद्र अग्रवाल, उसकी पत्नी अंजना अग्रवाल (41) तथा भाई आमोद अग्रवाल (36) शामिल रहे। जबकि आमोद अग्रवाल की पत्नी संचिता गोयल (34) के खिलाफ भी एक मामला वैशाली नगर थाने में दर्ज कराया गया है। ये सभी अब फरार हैं। बालाजीधाम बिल्ड एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड के कर्ताधर्ताओं ने एक षड्यंत्र के रूप में कंपनी शुरू की और फ्लैट्स आदि बेचने, निवेश तथा उधारी के नाम पर जनता से उनकी मेहनत की कमाई हड़प ली और फरार हो गए। पीडि़त पक्ष का आरोप है कि पुलिस की मिलीभगत से अभियुक्तों ने स्वयं को कानूनी कार्रवाई से बचा रखा है। अभियुक्त कानून को अपने हाथों में नचा रहे हैं और पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी है। पीडि़तों ने पुलिस कमिश्नर से इस प्रकरण में फरार अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए एक स्पेशल टीम बनाने की मांग की है।

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