-बाल मुकुन्द ओझा
भारत त्योहारों और पर्वों का देश है। यहाँ हर महीने रंगीले त्योहार मनाये जाते है मगर सावन माह इनमें अलग और अनूठा है। भगवान शिव की पूजा-आराधना और मनोकामना की पूर्ति के लिए सावन का महीना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। सावन महीना 4 जुलाई मंगलवार से शुरू हो गया है। मान्यता है कि भगवान शंकर की कृपा पाने के लिए यह महीना अति उत्तम होता है। भगवान शिव को समर्पित सावन माह को श्रावण मास के नाम से भी जानते हैं। सावन के महीने को बेहद पवित्र और हिंदु धर्म में महत्वपूर्ण माना जाता है. इस महीने में सावन के सोमवार पड़ते हैं जिनमें भोलेनाथ की पूजा की जाती है। इस महीने में भक्त कावड़ यात्रा पर भी निकलते हैं. वहीं, सावन में और भी कई तीज-त्योहार पड़ रहे हैं। आमतौर पर सावन का महीना 30 दिनों का होता है लेकिन इस बार अधिकमास होने के चलते सावन का महीना 2 महीनों का होगा। इस बार सावन में 8 सोमवार पड़ेंगे और 9 मंगला गौरी व्रत रखे जाएंगे। इस साल सावन
की शुरूआत 4 जुलाई, 2023 से होगी और 31 अगस्त, 2023 को सावन के दिन खत्म हो जाएंगे। सावन 58 दिनों का होगा जिसमें अधिकमास के दिन 18 जुलाई से 16 अगस्त के बीच होंगे। सावन में अनेक महत्वपूर्ण व्रत और त्यौहार आ रहे है जिनमें संकष्टी चतुर्थी, कामिका एकादशी, प्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्रि, कर्क संक्रांति, श्रावण अमावस्या, पद्मिनी एकादशी, पूर्णिमा व्रत, परम एकादशी, सिंह संक्रांति, हरियाली तीज, नाग पंचमी, श्रावण पुत्रदा एकादशी,ओणम/थिरुवोणम और रक्षा बंधन शामिल है। भीषण गर्मी के बाद सावन का महीना तन मन को हर्षित करता है। सावन के महीने में चारों तरफ हरियाली रहती है। सावन सोमवार में शिवलिंग का जलाभिषेक,बेलपत्र और भोलेनाथ की पूजा करने पर विशेष फल की प्राप्ति होती है। सावन मास में बारिश के आगमन से धरती का कोना-कोना हरा-भरा होकर खिल उठता
है। इस महीने में चारों तरफ हरियाली छा जाती है मानो प्रकृति ने फिर से जन्म लिया हो, और सृष्टि का फिर से निर्माण हो रहा हो, पूरा वातावरण झूमने लगता है, प्रकृति फिर से सुंदर हो जाती है, सब को लुभाने लगती है। चूंकि श्रावण अमावस्या पर पेड़-पौधों को नया जीवन मिलता है और इनकी वजह से ही मानव जीवन सुरक्षित रहता है।

देश में हर महीने का एक अलग महत्व है। लेकिन सावन के महीने को भगवान शंकर से जोड़कर देखा जाता है। इसलिए इसका महत्व बढ़ जाता है। हिंदू धर्म में सावन के महीने का बहुत महत्व है। सावन में हर ओर हरियाली छाई होती है। बारिश के सुहावने मौसम में पेड़ पौधे खिल उठते है। श्रावण मास में भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। शास्त्रों के अनुसार श्रावण मास भगवान भोलेनाथ को सबसे अधिक प्रिय है। इसे मनोकामनाओं को पूरा करने का महीना भी कहा जाता है। इस माह में सोमवार का व्रत और सावन स्नान की भी परंपरा है। सावन महीने से वर्षा ऋतु की शुरूआत होती है जिस वजह से चारों तरफ हरियाली छा जाती है। मैदान से लेकर पहाड़ तक हरियाली की चादर ओढ़ लेते हैं। प्रकृति के सौंदर्य का यह नजारा वाकई अद्भभुत होता है। सावन का महीना खुद को प्रकृति से जोड़ने का महीना होता है। इसलिए लोग हरा रंग पहन कर अपने आप को प्रकृति से जोड़ते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन आने पर हर तरफ हरियाली छा जाती है। जो ना सिर्फ आंखों को खुश करती है बल्कि आपके मन को भी शांति प्रदान करती है। इस महीने में शंकर भगवान की पूजा पाठ चारों तरफ अराधना की कवायद लगी हुई दिखाई देती हैं। जीवन में भक्ति रस का का अपना अनूठा स्थान हैं । दिन रात भजन कीर्तन करते रहने की खुशी होती है। सावन के आते ही सबके मन में हरियाली छा जाती हैं। प्रकृति के लिहाज से भी श्रावन मास का खास महत्व है। प्रकृति हरी-भरी रहती है। बागों के फूल हंसते इठलाते खुशी से खिल जाने से मुस्कान बिखेर लज्जा से झुकने लग जाते है। सावन के प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव को जल अवश्य अर्पित करना चाहिए। सावन का पहला सोमवार 18 जुलाई 2022 को और अंतिम सावन सोमवार 8 अगस्त 2022 को पड़ रहा है। रात्रि में जमीन पर शयन करना चाहिए। अगर नौ या सोलह सोमवार व्रत करना संभव ना हो तो सावन के चार सोमवार व्रत किए जा सकते हैं। दूध से अभिषेक करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। सावन माह में
किसी भी तरह का विवाद करने से बचना चाहिए। किसी को भी बुरा न बोलें। यह माह दांम्पत्य जीवन में खुशियां लाता है। गरीब, वृद्ध, दुर्बल और पशुओं को न सताएं। मान्यता है कि भगवान शिव को चावल अर्पित करने से धन की प्राप्ति होती है। तिल अर्पित करने से पापों का नाश होता है। जौ अर्पित करने से सुख में वृद्धि होती है। गेहूं अर्पित करने से संतान वृद्धि होती है। यह सभी अन्न भगवान को अर्पित करने के बाद गरीबों में बांट देना चाहिए।

LEAVE A REPLY