Instructions for closure of Pet Coke and Furnace Oil from Rajasthan, Haryana, Supreme Court

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने आज उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा सरकार को अपने यहां उद्योगों में पेट कोक और फर्नेस आयल का इस्तेमाल बंद करने का निर्देश दिया और साथ ही स्पष्ट किया कि ऐसा करने में विफल रहने पर वह एक नवंबर से इन सामग्री को प्रतिबंधित करने पर बाध्य होगा। न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की दो सदस्यीय खंडपीठ ने इन तीनों राज्यों को निर्देश दिया कि प्रदूषण पैदा करने वाली इस सामग्री के इस्तेमाल पर पाबंदी लगायी जाये। इसी पीठ ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पेट कोक और फर्नेस आयल का इस्तेमाल करने वाले उद्योगों से होने वाले प्रदूषित उत्सर्जन के मानक को अंतिम रूप नहीं देने के कारण आज ही पर्यावरण एवं वन मंत्रालय पर दो लाख रूपए का जुर्माना किया है।

पीठ ने स्पष्ट किया कि यदि इन राज्यों की सरकारों ने एक नवंबर तक इन पदार्थो के इस्तेमाल पर प्रतिबंध नहीं लगाया तो वह इन तीनों राज्यों में पेट कोक और फर्नेस आयल के उपयोग पर पाबंदी लगा देगा।  इस मामले में न्यायालय के लिये न्याय मित्र की भूमिका निभा रही वकील अपराजिता सिंह ने कहा कि शीर्ष अदालत ने इन तीन राज्यों को अपने यहां पेट कोक और फर्नेस आयल के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया है। इससे पहले, शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण ने न्यायालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पेट कोक और फर्नेस आयल के वितरण, बिक्री और इस्तेमाल पर सख्ती से प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की थी। पीठ को यह भी सूचित किया गया कि यदि पेट कोक और फर्नेस आयल के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया जाता है तो उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान को कोई आपत्ति नहीं होगी। न्यायालय ने इन राज्यों को इस तरह का प्रतिबंध लगाने की छूट दी थी। न्यायालय ने वायु प्रदूषण को लेकर पर्यावरणविद अधिवक्ता महेश चन्द्र मेहता की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था।

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