Development Dialogue with Policy Commission
Development Dialogue with Policy Commission

जयपुर। मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने नीति आयोग की ओर से तैयार किए जा रहे राष्ट्रीय विकास एजेंडे में राजस्थान की एक सक्रिय सहभागी के रूप में प्रतिबद्धता दोहराई है। उन्होंने कहा कि दीर्घकालीन एवं सतत विकास के लिए राज्य सरकार केन्द्र के साथ मिलकर चिन्हित क्षेत्रों के विकास पर अधिक फोकस करेगी।

राजे शुक्रवार को मुख्यमंत्री कार्यालय में आयोजित ’डवलपमेंट डायलाॅग विद नीति आयोग’ कार्यक्रम में नीति आयोग के सदस्यों और अधिकारियों को सम्बोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि राज्य को विरासत में मिलती आ रही समस्याओं के स्थायी समाधान के लिए हम योजनाओं के निर्माण और क्रियान्विति में आयोग का मार्गदर्शन लेकर आगे बढ़ेंगे। मुख्यमंत्री ने नीति आयोग द्वारा देश के सर्वसमावेशी और सर्वांगीण विकास के लिए 15 वर्ष तक की दूरदर्शी रणनीति बनाने के लिए केन्द्र और राज्य के बीच सहयोग से तैयार किए जा रहे तीन साल के एक्शन एजेंडा की सराहना की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सर्विस डिलीवरी, प्रशासन तंत्र में सुधार और बेहतर समन्वय में नीति आयोग की सहभागिता से न केवल हम राजस्थान का तेजी से विकास करेंगे, बल्कि दूसरे राज्यों के लिए भी एक उदाहरण बन सकेंगे।

राजे ने राज्य सरकार की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि राजस्थान ने मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के रूप में ऐसी महत्वाकांक्षी योजना शुरू की है जो राज्य का भविष्य सुरक्षित करने का काम करेगी। अभियान के पहले दो चरणों में 3500 तथा 4200 गांवों और लगभग 70 शहरों में वर्षाजल संग्रहण के ढ़ांचे बनाकर पानी को सहेजने की सफल क्रियान्विति की गई है। इस अभियान के परिणाम स्वरूप कई क्षेत्रों में भूजल स्तर तथा हरियाली क्षेत्र बढ़ा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अब अभियान के तीसरे और चैथे चरण में 6000 से अधिक गांवों में जल संग्रहण ढ़ांचे बनाए जाएंगे। उन्होंने इसके लिए केन्द्र सरकार से 3000 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता के साथ-साथ पर्यावरण मंत्रालय के ग्रीन क्लाइमेट फण्ड से भी धनराशि आवंटन के लिए नीति आयोग से समर्थन की मांग की। उन्होंने राजस्थान की 7.5 करोड़ जनता को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए केन्द्र सरकार से 10 वर्ष के लिए 7 हजार 275 करोड़ रुपए के विशेष वार्षिक अनुदान की भी मांग की।

राजे ने राज्य की कृषि व्यवस्था में सुधार के माध्यम से खाद्यान्न एवं पोषण सुरक्षा तथा जलवायु सम्पोषणता सुनिश्चित करने के लिए भी कृषि मंत्रालय और केन्द्र के शोध संस्थानों का राज्य के किसानों के साथ तालमेल बढ़ाने और विशेष आवंटन की जरूरत को रेखांकित किया। उन्हांेने केन्द्र सरकार की ओर से महात्मा गांधी नरेगा, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना सहित अन्य बजट स्वीकृतियों के समय पर भुगतान के साथ-साथ प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की बकाया राशि के भुगतान में आयोग के सहयोग की अपेक्षा की।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगड़िया ने कहा कि राजस्थान ने केन्द्र सरकार से भी पहले तीन वर्ष पूर्व ही ईज आॅफ डूइंग बिजनेस के लिए पहल की थी। उन्होंने कहा कि यहां बीते तीन वर्ष में श्रम कानूनों में बदलाव, भूमि सुधारों के तहत सौर ऊर्जा के लिए भूखण्ड लीज पर देने की अनुमति, नगरीय विकास के क्षेत्र में किराया अधिनियम तथा स्वच्छ भारत अभियान के तहत शौचालय निर्माण में अभूतपूर्व वृद्धि जैसे कई उल्लेखनीय सुधार हुए हैं। नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चन्द ने ई-नेशनल एग्रीकल्चर मार्केटिंग परियोजना के तहत फसल उत्पादों के लिए सभी मंडियों में इलेक्ट्राॅनिक बोली व्यवस्था अनिवार्य रूप से शुरू करने का सुझाव दिया। उन्होंने राज्य में विभिन्न फसलों की अधिक पैदावार वाली किस्मों को बढ़ावा देने तथा पशुपालन के विस्तार के लिए सामुदायिक भूमि के संरक्षण और उस पर हरियाली विस्तार करने के भी सुझाव दिए। उन्होंने कृषि सुधारों पर फोकस करते हुए संविदा खेती का बढ़ावा देने, निजी भूमि पर वानिकी विकास करने और अधिक पानी की जरूरत वाली फसलों को हतोत्साहित करने की आवश्यकता पर बल दिया। नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने अपने प्रस्तुतीकरण में कहा कि राजस्थान सरकार की भामाशाह योजना देश के लिए एक माॅडल स्कीम है। उन्होंने जल स्वावलम्बन, श्रम सुधार, शिक्षा, ईज आॅफ डूइंग बिजनेस और सिंचाई के क्षेत्र में उपलब्धियों की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे नवाचारों से राजस्थान देश का नम्बर वन स्टेट बन सकता है।
इस अवसर पर राज्य मंत्रीमण्डल के सदस्य, मुख्य सचिव ओपी मीना, मुख्यमंत्री सलाहकार परिषद के उपाध्यक्ष सीएस राजन, राज्य वित्त आयोग की अध्यक्ष ज्योति किरण शुक्ला सहित विभिन्न विभागों के अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रमुख शासन सचिव तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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