bhaarateey janata paartee ke raashtreey pravakta sudhaanshu trivedee ne aaj jayapur ke sivil laeen sthit bhaajapa meediya sentar par patrakaaron ko sambodhit karate hue kaha ki bhaajapa ke netaon kee railiyon mein jo bheed umad rahee hai.
delhi. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 पर बोलते हुए कहा कि यह बिल करोड़ों लोगों को सम्मान के साथ जीने का अवसर प्रदान करेगा| उनका कहना था कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए अल्पसंख्यकों को भी जीने का अधिकार है | उनका कहना था कि इन तीनों देशों में अल्पसंख्यकों की आबादी में काफी कमी हुई है, वह लोग या तो मार दिए गए, उनका जबरन धर्मांतरण कराया गया या वे शरणार्थी बनकर भारत में आए | श्री शाह ने कहा कि तीनों देशों से आए धर्म के आधार पर प्रताड़ित ऐसे लोगों को संरक्षित करना इस बिल का उद्देश्य है, भारत के अल्पसंख्यकों का इस बिल से कोई लेना-देना नहीं है | राज्यसभा में विधेयक का परिचय देते हुए श्री शाह ने यह भी कहा कि इसका उद्देश्य उन लोगों को सम्मानजनक जीवन देना है जो दशकों से पीड़ित थे ।

श्री अमित शाह ने कहा कि देश का बंटवारा और बंटवारे के बाद की स्थितियों के कारण यह बिल लाना पड़ा । उनका कहना था कि 70 सालों तक देश को भगवान के भरोसे छोड़ दिया गया । श्री नरेंद्र मोदी सरकार सिर्फ सरकार चलाने के लिए नहीं आई है देश को सुधारने के लिए और देश की समस्याओं का समाधान करने के लिए आई है । श्री शाह ने कहा कि हमारे पास 5 साल का बहुमत था, हम भी सत्ता का केवल भोग कर सकते थे किंतु देश की समस्या को कितने सालों तक लटका कर रखा जाए, समस्याओं को कितना कितना बड़ा किया जाये । उन्होंने विपक्षी सांसदों से कहा कि अपनी आत्मा के साथ संवाद करिए और यह सोचिए कि यदि यह बिल 50 साल पहले आ गया होता तो समस्या इतनी बड़ी नहीं होती ।

श्री अमित शाह का कहना था कि 2019 के घोषणा पत्र में असंदिग्ध रूप से इस बात की घोषणा की गई थी और यह इरादा जनता के समक्ष रखा गया था कि पड़ोसी देशों के प्रताड़ित धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए सीएबी लागू करेंगे, जिसका समर्थन जनता ने किया है | श्री शाह का कहना था कि देश का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ यह सबसे बड़ी भूल थी । उन्होंने कहा कि 8 अप्रैल 1950 को नेहरू-लियाकत समझौता हुआ जिसे दिल्ली समझौते के नाम से भी जाना जाता है, में यह वादा किया गया था कि दोनों देश अपने-अपने अल्पसंख्यकों के हितों का ध्यान रखेंगे किंतु पाकिस्तान में इसे अमल में नहीं लाया गया । भारत ने यह वादा निभाया और यहां के अल्पसंख्यक सम्मान के साथ देश के सर्वोच्च पदों पर काम करने में सफल हुए किंतु तीनों पड़ोसी देशों ने इस वादे को नहीं निभाया और वहां के अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित किया गया ।

एक प्रश्न के जवाब में श्री शाह ने कहा कि नागरिकता बिल में पहले भी संशोधन हुए और विभिन्न देशों को उस समय की समस्या के आधार पर प्राथमिकता दी गई और वहां के लोगों को नागरिकता प्रदान की गई । आज भारत की भूमि-सीमा से जुड़े हुए इन 3 देशों के लघुमती (अल्पसंख्यक) शरण लेने आए हैं इसलिए इन 3 देशों की समस्या का जिक्र किया जा रहा है ।

श्री शाह का कहना था कि पासपोर्ट, वीजा के बगैर जो प्रवासी भारत में आए हैं उन्हें अवैध प्रवासी माना जाता है किंतु इस बिल के पास होने के बाद तीनों देशों के अल्पसंख्यकों को अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा | श्री शाह ने कहा कि यह बिल भारत के अल्पसंख्यक समुदाय को लक्षित नहीं करता है । धार्मिक उत्पीड़न के शिकार इन तीनों देशों के लोग रजिस्ट्रेशन कराकर भारत की नागरिकता ले पाएंगे | श्री शाह का कहना था कि 1955 की धारा 5 या तीसरे शेडयूल की शर्तें पूरी करने के बाद जो शरणार्थी आए हैं उन्हें उसी तिथि से नागरिकता दी जाएगी जब से वह यहां आए तथा इस बिल के पास होने के बाद उनके ऊपर से घुसपैठ या अवैध नागरिकता के केस स्वतः ही समाप्त हो जाएंगे | श्री शाह ने कहा कि अगर इन अल्पसंख्यकों के पासपोर्ट और वीजा समाप्त हो गए हैं, तो भी उन्हें अवैध नहीं माना जाएगा।

उन्होने कहा कि श्री नरेंद्र मोदी सरकार पूर्वोत्तर राज्यों की भाषाई, सांस्कृतिक और सामाजिक हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं | श्री शाह ने कहा कि अधिनियम के संशोधनों के प्रावधान असम, मेघालय, मिजोरम या त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्र पर लागू नहीं होंगे क्योंकि संविधान की छठी अनुसूची में शामिल हैं और पूर्वी बंगाल के तहत अधिसूचित ‘इनर लाइन’ के तहत आने वाले क्षेत्र को कवर किया गया है। एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए श्री शाह ने कहा कि मणिपुर को इनर लाइन परमिट (ILP) शासन के तहत लाया जाएगा और इसके साथ ही सिक्किम सहित सभी उत्तर पूर्वी राज्यों की समस्याओं का ध्यान रखा जाएगा।

श्री अमित शाह ने आसाम का विशेष उल्लेख करते हुए कहा कि आसाम आंदोलन के शहीदों की शहादत बेकार नहीं जाएगी | उनका कहना था कि 1985 में श्री राजीव गांधी के द्वारा क्लॉज़ सिक्स के तहत एक कमेटी बनाने का निर्णय लिया गया था जो वहां के लोगों की भाषा, संस्कृति और सामाजिक पहचान की रक्षा करती किंतु यह आश्चर्यजनक बात है कि 1985 से लेकर 2014 तक तीन दशकों से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी वह कमेटी ही नहीं बन सकी | उनका कहना था कि 2014 में श्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद उस कमेटी का गठन किया गया | उन्होंने आसाम के लोगों से आग्रह किया कि वह समझौते के प्रावधानों को पूरा करने के लिए प्रभावी कदम उठाने के लिए जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपे। उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों के लोगों की आशंकाओं को दूर करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि क्षेत्र के लोगों की भाषाई, सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान को संरक्षित रखा जाएगा और इस विधेयक में संशोधन के रूप में इन राज्यों के लोगों की समस्याओं का समाधान है। पिछले एक महीने से नॉर्थ ईस्ट के विभिन्न हितधारकों के साथ मैराथन विचार-विमर्श के बाद शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को राजनीतिक विचारधाराओं से परे एक मानवतावादी के रूप में देखा जाना चाहिए।

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इस विधेयक में ऐसे शरणार्थियों को उचित आधार पर नागरिकता प्रदान करने के प्रावधान हैं, जो किसी भी तरह से भारत के संविधान के तहत किसी भी प्रावधान के खिलाफ नहीं जाते हैं और अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं करते हैं। श्री शाह ने यह भी कहा कि देश के सभी अल्पसंख्यकों को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि श्री नरेंद्र मोदी सरकार के होते हुए इस देश में किसी भी धर्म के नागरिक को डरने की जरूरत नहीं है, यह सरकार सभी को सुरक्षा और समान अधिकार देने के लिए प्रतिबद्ध है।

श्री अमित शाह ने एक सदस्य के प्रश्न के जवाब में कहा कि हम चुनावी राजनीति अपने देश के नेता के दम पर करते हैं और उसमें सफल होते हैं किंतु देश की समस्या का समाधान करते समय पूरा ध्यान समस्या पर केंद्रित होता ।

श्री अमित शाह ने कहा कि मोदी जी के शासनकाल में पिछले 5 वर्षों में 566 से ज्यादा मुस्लिमों को भारत की नागरिकता दी गई । श्री शाह ने कहा कि यह बिल सिर्फ नागरिकता देने के लिए है किसी की नागरिकता छीनने का अधिकार इस बिल में नहीं है । उनका कहना था कि श्री नरेंद्र मोदी सरकार मानती है कि जिनकी प्रताड़ना हुई है, उन सब की मदद सरकार को करनी चाहिए ।

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