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To achieve the dream of smart grids in India, 50 million smart meters

जयपुर। एकतरफ स्ट्रीट लाइटों में सोडियम और ट्यूबलाइट की जगह एलईडी लाइट्स बदलकर एनर्जी सेविंग करने में राजस्थान देश में पहले पायदान पर गया है। प्रदेश की राजधानी जयपुर जहां पूरी सरकार रहती है, इस मामले में बड़े शहरों के मुकाबले बुरी तरह से पिछड़ गया है। प्रोजेक्ट लागू करने में जयपुर का ग्राफ अन्य शहरों के मुकाबले तेजी से तो गिरा ही है, इससे भी गंभीर बात यह है कि पुरानी लाइटों को लगाने की प्रदेशभर में पाबंदी होने के बावजूद जयपुर में 10 हजार पुरानी लाइटें लगा दी गई। मतलब बिजली बचत के बजाय बिजली खपत बढ़ा दी गई। प्रदेश में सबसे बड़ा शहर जयपुर है जिसमें अकेले में करीब 2.5 लाख रोडलाइट्स हैं। इसके बावजूद अभी तक जयपुर में करीब 26 हजार रोडलाइट्स ही बदली गई है। हालात ये हैं कि इस मामले में उदयपुर, कोटा, जोधपुर, बीकानेर, भीलवाड़ा, अजमेर जैसे शहर जयपुर से आगे निकल गए हैं। इन शहरों में जयपुर से ज्यादा रोडलाइट्स में एलईडी बदली जा चुकी है। राज्य सरकार और एनर्जी एफिशियंसी सर्विस लिमिटेड (ईईएसएल) के बीच 23 जनवरी 2015 को प्रदेश के सभी स्थानीय निकायों में एलईडी प्रोजेक्ट का एमओयू हुआ था। राज्य सरकार का इस प्रोजेक्ट में एक पैसा भी खर्च नहीं होना है। सात साल तक ईईएसएल कंपनी ही मेंटेनेंस का काम भी देखेगी। इसमें 190 शहर शामिल किए गए थे। इन शहरों में कुल साढ़े 12 लाख रोडलाइट्स प्वाइंट पर पहले से लगी सोडियम और टयूबलाइट्स की जगह एलईडी लाइटस लगाई जानी थी। अब तक 153 शहरों में काम लगभग पूरा हो चुका है।

सभी शहरों में एलईडी लगे तो बचेंगे 140 करोड़
सरकारका मानना है कि प्रदेश की 12.5 लाख रोडलाइटों पर एलईडी प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद 1751 लाख यूनिट्स बिजली बचेगी और प्रतिवर्ष 140 करोड़ रुपए की बचत होगी।
प्रदेश में सोडियम ट्यूबलाइट पर रोक, लेकिन जयपुर में सड़कों पर लगा दी गई 10 हजार पुरानी लाइटें, रिसर्जेंट राजस्थान के दबाव में सिर्फ 26 हजार एलईडी लगीं, बाद में काम ठप।
11 शहरों की थर्ड पार्टी टेस्टिंग में 61 प्रतिशत तक बचत सामने आई, इन शहरों में एलईडी के कारण एक साल में 247 लाख यूनिट बिजली बची, 19.77 करोड़ रुपए हुए कमखर्च हुए

11 शहरों ने 1 साल में बचाए 19.77 करोड़
रोडलाइट्समें एलईडी लगाने से बिजली बचत का पता लगाने के लिए सरकार ने आरईआईएल से 11 शहरों में थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन कराया। इन शहरों में 61% बिजली बचाई गई। पहले इनमें 401.55 लाख यूनिट बिजली खर्च होती थी, एलईडी से बिजली खपत 154.35 लाख यूनिट हुई। यानी एक साल में 247.20 लाख यूनिट बिजली बचाई। प्रोजेक्ट लागू करने से पहले इन शहरों में 32.12 करोड़ रुपए रोडलाइट्स का खर्च आता था। प्रोजेक्ट लागू होने के बाद एक साल में 19.77 करोड़ रुपए कम खर्च हुआ। सिर्फ 12.34 करोड़ रुपए बिजली का बिल आया।

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