Arun Jaitley
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दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्‍यक्षता में आज नई दिल्‍ली में वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (एफएसडीसी) की 17वीं बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर डॉ. उर्जित आर. पटेल, वित्त सचिव  अशोक लवासा, आर्थिक मामलों के सचिव  सुभाष चंद्र गर्ग, वित्तीय सेवा विभाग की सचिव सुश्री अंजुली चिब दुग्गल, कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय में सचिव तपन राय, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में सचिव  अजय प्रकाश साहनी, मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. अरविंद सुब्रमनियन, सेबी के अध्‍यक्ष  अजय त्यागी, आईआरडीएआई के अध्यक्ष  टीएस विजयन, पीएफआरडीए के अध्‍यक्ष  हेमंत जी. कांट्रेक्‍टर और भारत सरकार तथा वित्तीय क्षेत्र नियामकों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।

मुख्य आर्थिक सलाहकार ने अर्थव्यवस्था की स्थिति के बारे में एक प्रेजेंटेशन दिया। परिषद ने कहा कि आज भारत में वृहत् आर्थिक स्थिरता मौलिकताओं की पृष्‍ठभूमि में सुधारों, वस्‍तु और सेवा कर (जीएसटी) की शुरुआत से संरचनात्‍मक सुधारों, दोहरे तुलन-पत्र (टीबीएस) की चुनौतियों के समाधान के लिए की गई कार्रवाई, उच्‍च और बढ़ते बांड और विशेष रूप से स्‍टॉक मूल्‍यांकन में परिलक्षित विशिष्‍ट वित्तीय बाजार विश्‍वास तथा विमुद्रीकरण के दीर्घकालीन सकारात्‍मक प्रभाव के कारण वृहत् आर्थिक स्थिरता आई है। परिषद ने भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के सामने आ रही चुनौतियों के मुद्दों के बारे में भी विचार-विमर्श किया और सदस्‍यों ने निगरानी रखने तथा बाह्य और आंतरिक कमियों से निपटने के लिए तैयार रहने की स्थिति के बारे में सहमति व्‍यक्‍त की। परिषद ने अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्रा कोष और विश्‍व बैंक द्वारा संयुक्‍त रूप से आयोजित भारत के लिए वित्तीय क्षेत्र आकलन कार्यक्रम की प्रगति का भी जायजा लिया। परिषद ने यही भी निर्देश दिया कि आकलन रिपोर्ट को इस कैलेंडर वर्ष के अंत तक अंतिम रूप दिया जाना चाहिए।

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