मुंबई. महाराष्ट्र भाजपा के 12 विधायकों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने मानसून सत्र के दौरान विधानसभा स्पीकर द्वारा एक साल के लिए निलंबित किए जाने के फैसले को असंवैधानिक करार दिया है। साथ ही सभी विधायकों का निलंबन भी रद्द कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले के साथ तल्ख टिप्पणी भी की है। अदालत ने कहा कि ये फैसला लोकतंत्र के लिए खतरा ही नहीं, बल्कि तर्कहीन भी है। इससे पहले की सुनवाई में जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रवि कुमार की पीठ ने महाराष्ट्र शासन के वकील अर्यमा सुंदरम से सत्र की अवधि के बाद भी साल भर तक निलंबन के आधार को लेकर कई सीधे और तीखे सवाल पूछे थे।
इससे पहले की सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा था कि एक साल का निलंबन निष्कासन से भी बदतर है। क्योंकि, इस दौरान निर्वाचन क्षेत्र का कोई प्रतिनिधित्व नहीं हुआ। यदि निष्कासन होता है तो यह स्थान भरने के लिए एक तंत्र है। एक साल के लिए निलंबन, निर्वाचन क्षेत्र के लिए सजा के समान होगा। जब विधायक वहां नहीं हैं, तो कोई भी इन निर्वाचन क्षेत्रों का सदन में प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता है, निलंबन सदस्य को दंडित नहीं कर रहा है, बल्कि पूरे निर्वाचन क्षेत्र को दंडित कर रहा है।
– इन विधायकों का हुआ था निलंबन
इन 12 विधायकों में संजय कुटे, आशीष शेलार, योगेश सागर, गिरीज महाजन, हरीश पिंपले, अतुल भातरखलकर, अभिमन्यु पवार, बंटी बांगडीया और नारायण कुचे का नाम शामिल है। महाराष्ट्र विधानसभा से निलंबित किए गए भाजपा विधायक आशीष शेलार और अन्य विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उनका कहना था कि उन्हें 1 साल के लिए निलंबित करने का फैसला दुर्भावना के चलते लिया गया और ऐसा फैसला लेने से पहले उनके पक्ष को भी नहीं सुना गया है।