जयपुर. पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने गिग वर्कर्स की हड़ताल पर केंद्र और राज्य सरकार पर निशाना साधा है। गहलोत ने मनरेगा का पैटर्न बदलने पर सवाल उठाए हैं। गिग वर्कर्स कल्याण पर कांग्रेस राज में बने कानून को देश भर में लागू करने का सुझाव दिया है। गहलोत ने एक्स पर लिखा आज जब पूरा देश नववर्ष के स्वागत की तैयारियों में व्यस्त है, तब हमारे गिग वर्कर्स (डिलीवरी पार्टनर्स) हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर हैं। ये वे श्रमिक हैं जो रोजाना पैसे कमाकर अपना घर चलाते हैं, इसके बावजूद जिस दिन इन्हें ज्यादा ऑर्डर्स मिलने की संभावना है, उस दिन अपनी दिहाड़ी छोड़कर हड़ताल करना इनका शौक नहीं, बल्कि आर्थिक मजबूरी है। गहलोत ने लिखा- भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी से गिग वर्कर्स ने मिलकर अपनी पीड़ा उनके सामने रखी। राहुल गांधी की पहल पर हमारी कांग्रेस सरकार ने इनकी इसी पीड़ा को समझते हुए देश का पहला ‘राजस्थान प्लेटफॉर्म आधारित गिग कर्मकार (रजिस्ट्रीकरण और कल्याण) अधिनियम, 2023’ पारित किया था, ताकि इन्हें सामाजिक सुरक्षा मिल सके। गहलोत ने लिखा- दुर्भाग्यपूर्ण है कि उस ऐतिहासिक कानून के क्रियान्वयन में वर्तमान सरकार की उदासीनता के कारण आज इन श्रमिकों को अपने हक के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। राज्य सरकार को अविलंब इस कानून के नियम बनाकर इसकी मूल भावना के अनुरूप लागू कर इन्हें राहत देनी चाहिए। भारत सरकार को भी राजस्थान की तर्ज पर ऐसा कानून बनाना चाहिए जिससे निजी कंपनियों द्वारा शोषण से इन्हें बचाया जा सके। गहलोत ने मनरेगा की जगह जीरामजी स्कीम नाम करने और इसका फंडिंग पैटर्न बदलने पर सवाल उठाए हैं। गहलोत ने लिखा- ग्रामीण भारत की ‘जीवनरेखा’ कही जाने वाली मनरेगा के मूल स्वरूप को मिटाने का जो कुप्रयास केंद्र सरकार कर रही है, वह न सिर्फ निंदनीय है बल्कि करोड़ों वंचित परिवारों को पुनः अंधकार और अभाव की ओर धकेलने का षड्यंत्र है। यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की दूरदर्शी सोच ने 2005 में इस योजना को एक ‘कानूनी सुरक्षा कवच’ बनाया था जिसने करोड़ों परिवारों को गरीबी के दलदल से निकाला। गहलोत ने लिखा- मनरेगा की जगह लाई जा रही नई योजना में 60:40 का फंडिंग पैटर्न लागू करना दरअसल इस योजना का गला घोंटने जैसा है, क्योंकि राज्यों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ डालकर उन्हें पीछे हटने पर मजबूर किया जा रहा है। सबसे चिंताजनक ‘एग्रीकल्चर पॉज़’ का प्रावधान है; खेती के व्यस्त समय में योजना बंद करना मजदूरों की ‘मोलभाव करने की शक्ति’ को कुचलने जैसा है, जिससे वे कम मजदूरी पर काम करने को मजबूर होंगे। गहलोत ने लिखा राजस्थान मनरेगा में रोजगार देने के मामले में देश के अग्रणी राज्यों में रहा है( यहां की ग्रामीण अर्थव्यवस्था और विशेष तौर पर ग्रामीण महिलाओं को काम देने में मनरेगा की महत्वपूर्ण भूमिका है। गरीब विरोधी मानसिकता के साथ मनरेगा के स्थान पर लाई गई नई योजना का हम विरोध करते हैं और मनरेगा की बहाली की मांग करते हैं।
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