आज मदर्स डे है। मां का अभिनंदन और सम्मान वैसे तो हर कोई करता है। मगर मां को विशेष सम्मान देने व याद करने के लिए यह दिन मनाया जाता है। सब अपने अपने तरीके से सम्मान करते हैं। शायरों ने अपनी शायरी से मां को विशेष मुकाम दिया है। कुछ शायरों की मां को समर्पित शायरी के कुछ अंश…..

-लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती
बस एक माँ है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती…

-इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है….

-माँ की दुआ खाली नहीं जाती उस की बददुआ भी टाली नहीं जाती बर्तन मांझ कर भी माँ तीन चार बच्चे पाल ही लेती है मगर तीन चार बच्चो से एक माँ नहीं पाली जाती….

-माँ की ममता के कुछ अंदाज़ होते है जगती आँखों में कुछ ख्वाब होते है ज़रूरी नहीं की गम में ही आंसू निकले मुस्कुराती आँखों में भी सैलाब होती है…

-मन की बात जान ले जो आँखों से पढ़ ले जो दर्द हो चाहे ख़ुशी आंसू की पहचान कर ले जो वो हस्ती जो बेपन्हा प्यार करे माँ ही तो है वो जो बच्चो के लिए जिए…

-माँ से रिश्ता ऐसा बनाया जाये जिसको निगाहों में बैठाया जाये रहे उसका मेरा रिश्ता कुछ ऐसा की वो अगर उदास हो तो हमसे मुस्कुराया ना जाये…

-अज़ीज़ भी वो है नसीब भी वो है दुनिया की भीड़ में करीब भी वो है उनकी दुआओं से चलती है जिंदगी मेरी क्यूंकि खुद भी वो है और तक़दीर भी वो है….

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